ज्योतिषियों jyotish का कहना है कि सूर्यग्रहण का सूतक sutak kal 12 घंटे पहले से मान्य किया जाता है, इसलिए बुधवार रात 8:11 बजे से इस ग्रहण का सूतक शुरू होने से मंदिरों tempels के पट बंद हो जाएंगे और गुरुवार को ग्रहण समाप्ति के बाद ही खुलेंगे।
ज्योतिषाचार्य अंजना गुप्ता के अनुसार पौष कृष्णपक्ष अमावस्या krishna paksha amavasya पर पडऩे वाला यह ग्रहण मूल नक्षत्र muul nakshatra और धनु राशि sagittarius में रहेगा। MUST READ : सूर्यग्रहण 2019 जानिये किसे होगा फायदा और कौन रहेगा नुकसान में…
यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण भारत के अधिकांश हिस्सों में खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा, जबकि बंगलूरू Bangalore , मदुरई केन्नानूर, कोजीकोड आदि स्थानों पर यह कंकणाकृति ग्रहण के रूप में दृश्य होगा। यह ग्रहण मूल नक्षत्र के तीसरे चरण में पड़ेगा। इस साल यानि 2019 का आखिरी सूर्यग्रहण Solar eclipse effects on 26 दिसंबर 2019 को होगा।
इसके साथ ही इस ग्रहण के ज्योतिष के हिसाब से कई लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिलेंगे। जबकि कुछ के लिए ये ग्रहण थोड़ा बहुत मददगार भी साबित हो सकता है। नजारा दिखाने के लिए विशेष व्यवस्था
इसके पहले भारत में सूर्यग्रहण 9 मार्च 2016 को पड़ा था, जो भोपाल में भी दिखाई solar eclipse 2016 दिया था। यह ग्रहण भी वैज्ञानिक और ज्योतिषीय क्षेत्र में अनेक अनुसंधान का विषय बना था। वहीं इस बार सूर्यग्रहण का नजारा दिखाने के लिए भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित आंचलिक विज्ञान केंद्र में विशेष व्यवस्था की जाएगी।
ग्रहण की अवधि timing of Eclipse
स्पर्श सुबह 8.11 बजे
मध्य सुबह 9.29 बजे
मोक्ष सुबह 11.02 बजे
सूतक 12 घंटे पहले देश-दुनिया में असर : effects on world
राजनीति में उथल-पुथल रहेगी।
प्राकृतिक आपदा की स्थिति बन सकती है
कई हिस्सों में वर्षा एवं ओलावृष्टि के योग रहेंगे
युद्ध, गृह युद्ध जैसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
स्पर्श सुबह 8.11 बजे
मध्य सुबह 9.29 बजे
मोक्ष सुबह 11.02 बजे
सूतक 12 घंटे पहले देश-दुनिया में असर : effects on world
राजनीति में उथल-पुथल रहेगी।
प्राकृतिक आपदा की स्थिति बन सकती है
कई हिस्सों में वर्षा एवं ओलावृष्टि के योग रहेंगे
युद्ध, गृह युद्ध जैसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
ग्रहण काल में ये न करें : do not do this … भोजन बनाना, करना नहीं चाहिए।
तुलसी के पौधे को स्पर्श न करें।
किसी भी तरह की खरीदारी से बचें।
बाल-दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए।
हाथों व वालों में मेहंदी नहीं लगाएं।
उधार लेन-देन से बचना चाहिए। इससे दद्रिता आती है।
तुलसी के पौधे को स्पर्श न करें।
किसी भी तरह की खरीदारी से बचें।
बाल-दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए।
हाथों व वालों में मेहंदी नहीं लगाएं।
उधार लेन-देन से बचना चाहिए। इससे दद्रिता आती है।
2004 के बाद क्रिसमस के अगले दिन सूर्यग्रहण…
सूर्यग्रहण का नजारा देखने का बहुत लोगों में क्रेज रहता है। इस भोपाल के लोग भी 26 दिसम्बर को लगने वाले सूर्यग्रहण का नजारा देख पाने में सक्षम होंगे। इस साल का सूर्यग्रहण इसलिए भी खास है क्योंकि 15 साल पहले साल 2004 को भी सूर्यग्रहण क्रिसमस के अगले दिन लगा था। इसी दिन सूनामी ने अपना कहर भी बरपाया था। इस साल इस खास इवेंट को अपनी आंखों से देखने के लिए बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों के श्रीलंका और तमिलनाडु में आने की उम्मीद है। वहीं, बताया जाता है कि इस साल मौसम देश के हर कोने में सामान्य रहेगा।
सूर्यग्रहण का नजारा देखने का बहुत लोगों में क्रेज रहता है। इस भोपाल के लोग भी 26 दिसम्बर को लगने वाले सूर्यग्रहण का नजारा देख पाने में सक्षम होंगे। इस साल का सूर्यग्रहण इसलिए भी खास है क्योंकि 15 साल पहले साल 2004 को भी सूर्यग्रहण क्रिसमस के अगले दिन लगा था। इसी दिन सूनामी ने अपना कहर भी बरपाया था। इस साल इस खास इवेंट को अपनी आंखों से देखने के लिए बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों के श्रीलंका और तमिलनाडु में आने की उम्मीद है। वहीं, बताया जाता है कि इस साल मौसम देश के हर कोने में सामान्य रहेगा।
एक खास संयोग…
वहीं जानकारों का कहना है कि यह एक खास संयोग है कि इस साल 26 दिसम्बर को भी उसी तरह सूर्यग्रहण लग रहा है, जिस तरह 2004 में लगा था। वो साल इसलिए भी खास था, क्योंकि तमिलनाडु ने सुनामी की लहरों ने काफी तबाही मचाई थी। इस बार भी देश के कुछ तटीय इलाकों में कुछ लहरें उठने की आशंका है, लेकिन इससे ज्यादा कोई कुछ न होने की उम्मीद है। हालांकि, सावधानी के तौर पर मछुवारों को समुद्र या नदियों में न उतरने की चेतावनी दी गई है”
वहीं जानकारों का कहना है कि यह एक खास संयोग है कि इस साल 26 दिसम्बर को भी उसी तरह सूर्यग्रहण लग रहा है, जिस तरह 2004 में लगा था। वो साल इसलिए भी खास था, क्योंकि तमिलनाडु ने सुनामी की लहरों ने काफी तबाही मचाई थी। इस बार भी देश के कुछ तटीय इलाकों में कुछ लहरें उठने की आशंका है, लेकिन इससे ज्यादा कोई कुछ न होने की उम्मीद है। हालांकि, सावधानी के तौर पर मछुवारों को समुद्र या नदियों में न उतरने की चेतावनी दी गई है”