वो नेता जो नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव सुषमा स्वराज
राजनीतिक सफर: सुषमा स्वराज 1977 में पहली बार हरियाणा विधानसभा में विधायक का चुनाव जीतीं। सुषमा हरियाणा में तीन बार विधायक रहीं। चार बार लोकसभा सदस्य और तीन बार राज्यसभा सदस्य रहीं। सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी रहीं। इस दौरान वे राज्य और केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहीं।
राजनीतिक सफर: सुषमा स्वराज 1977 में पहली बार हरियाणा विधानसभा में विधायक का चुनाव जीतीं। सुषमा हरियाणा में तीन बार विधायक रहीं। चार बार लोकसभा सदस्य और तीन बार राज्यसभा सदस्य रहीं। सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी रहीं। इस दौरान वे राज्य और केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहीं।
क्यों नहीं लड़ेंगी चुनाव: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान सुषमा स्वराज ने चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई थी। उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा था कि मैंने चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा बता दी है। उन्होंने कहा था कि डॉक्टरों ने उन्हें इन्फेक्शन के चलते धूल से दूर रहने की हिदायत दी है। इसलिए वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकतीं। सुषमा चुनाव लड़ेंगी या नहीं फिलहाल इसपर अंतिम फैसला पार्टी को लेना है।
बड़ा चेहरा क्यों : सुषमा स्वराज एक प्रखर वक्ता हैं। हरियाणा सरकार में 25 साल की उम्र में मंत्री बनीं जो एक रिकॉर्ड है। सुषमा स्वराज इकलौती ऐसी महिला नेता हैं जो छह राज्यों की राजनीति में सक्रिय रही हैं। वो हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड और मध्यप्रदेश की चुनावी राजनीति में सक्रिय रही हैं। मौजूदा समय में सुषमा स्वराज पीएम मोदी सरकार में विदेश मंत्री और मध्यप्रदेश की विदिशा संसदीय सीट से सांसद हैं।
उमा भारती
राजनीतिक सफर: उमा भारती 1989 में पहली बार खजुराहो सीट से लोकसभा सदस्य चुनी गईं। मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं। 2014 में झांसी से लोकसभा सदस्य बनीं। मध्यप्रदेश में विधायक भी रहीं। क्यों नहीं लड़ेंगी चुनाव: उमा भारती राम जन्मभूमि आंदोलन की प्रमुख नेता रहीं हैं। उमा भारती ने कहा था कि वे अब सिर्फ भगवान राम और गंगा के लिए काम करेंगी और पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करती रहेंगी लेकिन चुनाव नहीं लड़ेगी।
राजनीतिक सफर: उमा भारती 1989 में पहली बार खजुराहो सीट से लोकसभा सदस्य चुनी गईं। मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं। 2014 में झांसी से लोकसभा सदस्य बनीं। मध्यप्रदेश में विधायक भी रहीं। क्यों नहीं लड़ेंगी चुनाव: उमा भारती राम जन्मभूमि आंदोलन की प्रमुख नेता रहीं हैं। उमा भारती ने कहा था कि वे अब सिर्फ भगवान राम और गंगा के लिए काम करेंगी और पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करती रहेंगी लेकिन चुनाव नहीं लड़ेगी।
बड़ा चेहरा क्यों: उमा भारती वहीं नेता हैं जिन्होंने मध्यप्रदेश की सत्ता में भाजपा की वापसी कराई थी। उमा भारती मध्यप्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान भी वे अयोध्या में मौजूद थीं। उमा भारती मोजूदा समय में मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं और आज भी राम मंदिर के लिए संघर्ष कर रही हैं।
नंद कुमार सिंह चौहान राजनीतिक सफर: 1985 में पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। खंडवा संसदीय सीट से पांच बार सांसद रहे। क्यों नहीं लड़ सकते हैं चुनाव: बताया जा रहा है कि भाजपा ने लोकसभा टिकट वितरण से पहले एक सर्वे कराया था। बताया जा रहा है कि भाजपा इस सर्वे के आधार पर टिकट का वितरण करती है तो नंद कुमार चौहान का नाम कट सकता है। नंद कुमार चौहान का पार्टी के अंदर ही विरोध बताया जा रहा है।
बड़ा चेहरा क्यों: नंद कुमार 1985-96 तक लगातार 2 बार भाजपा से विजयी हो कर बुरहानपुर क्षेत्र से विधायक रहे थे। 1996 में पहली बार खंडवा सीट से सांसद बने। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अरुण यादव से चुनाव हारे। पार्टी ने मध्यप्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। 2014 में भाजपा ने फिर से खंडवा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया औऱ वो चुनाव जीत गए। जिसके बाद पार्टी ने उन्हें फिर से मध्यप्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। नंद कुमार सिंह चौहान दो बार मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे।