बढ़ते नशे के कारोबार के कारण
मध्यप्रदेश की राजधानी में भी नशे का कारोबार खुलकर चल रहा है। आए दिन बच्चे भोपाल के टूरिस्ट स्पॉट पर नशा करते हुए नजर आ जाते हैं। इसके अलावा नशे का व्यापार करने वाले लोग यहां आने वाली स्कूल कॉलेज की लड़कियों और पर्यटकों को भी नशे का आदी बना रहे हैं।
टाइगर मूवमेंट क्षेत्र में जमती है ‘बैठक’
भोपाल के कलियासोत और केरवा डेम क्षेत्र में इस प्रकार की गतिविधियां चल रही है। टाइगर मूवमेंट जोन जहां जाने में भी लोग घबराते हैं वहां धड़ल्ले से नशे का कारोबार चल रहा है। छोटी-छोटी कुछ दुकानों पर आसानी से गांजा और चरस मिल रहा है। पचास रुपए में गांजे की पुडियां और 10 रुपए में यहां कोन उपलब्ध हैं। युवा इसके सबसे ज्यादा आदी हो रहे हैं।
हालात ये हैं कि शाम होते ही नशे के लिए युवाओं का झुंड यहां जमा हो जाता है। इनमें सबसे ज्यादा कॉलेज स्टूडेन्ट शामिल हैं। नशाखोरी की सूचना मिलने पर जब पत्रिका टीम शाम 5.50 बजे कलियासोत नदी के जंगल पहुंची तो करीब आधा दर्जन से अधिक स्टूडेंट्स गांजा पीते मिले।
मीडिया को देख मची भगदड़
हाथ में कैमरा देखते ही इनमें भगदड़ मच गई। इन्हें विश्वास दिलाया गया कि हम तो यहां टाइगर मूवमेंट देखने आए थे तब जाकर कुछ स्टूडेंट ने बात की। इन्होंने बताया कि वे इस नशे को कंसंट्रेशन बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। गांजा कहां से मिलता है इस सवाल पर बताया कि कोलार, अरेरा कॉलोनी में कुछ छोटी दुकानें हैं वहां पर कम से कम 50 रुपए में पुडि़या मिल जाती है।
बिना पूछताछ दे दी कोन
स्टूडेंट के बताए पते पर हम बिट्टन मार्केट स्थिति पान की दुकान पहुंचे। यहां गांजा चरस पीने वाली कोन मिल गई। पूछने पर दुकानदार ने बताया कि एक पैक में रेडीमेड कोन है और दूसरे में गो-गो पेपर्स हैं। इन्हें आसानी से यूज कर सकते हैं। ये पेपर व कोन माइनर्स को बेचने के लिए प्रतिबंधित हैं।
कांधे पर बैग टांगे एकांत में स्टूडेन्ट लगा रहे थे कश
युवाओं में नशे का जहर फैल रहा है। हाल ये है कि सुनसान में नशाखोरी के लिए पहुंचने वाले युवा कांधे पर बस्ता टांगे इसमें लिप्त मिले। पास ही टाइगर कॉरीडोर की चेतावनी देता लाल बैनर भी लगा था। उल्लेखनीय है ये टाइगर कॉरिडोर भी है, जहां टाइगर अकसर आवागमन करता है। कॉरिडोर में दखल से टाइगर हिंसक हो सकता है और किसी दिन बड़ा हादसा होने की आशंका है।
पैसा लेकर कर देते हैं रफा दफा
सूत्रों ने बताया कि इस क्षेत्र में पुलिस भी गश्त करती है,जंगल के प्रतिबंधित क्षेत्र में ये नशा करने वालों को पकड़ भी लेते हैं लेकिन कई बार पैसे लेकर छोड़ दिया जाता है। उन्हें वहां से भगाते नहीं। स्टूडेंट्स ने ये भी बताया कि वन विभाग वाले तो आज तक नहीं दिखाए दिए। इस तरफ लोगों का आना-जाना कम है इस कारण जमावड़ा लगता है।
इन क्षेत्रों में बड़े कारोबारी
चरस और गांजे के बड़े कारोबारी शहर के बरखेड़ी, काजी कैम्प, इतवारा, बरखेड़ा पठानी, कोलार, बाग सेवनिया, कटारा हिल्स आदि इलाकों में हैं। पूर्व में पुलिस इन क्षेत्रों में बड़ी तादात में मादक पदार्थ बरामद भी कर चुकी है। इसके अलावा छोटे-छोटे गांजा-चरस विक्रेता गली-कूचे में हैं।
नष्ट कर दिए गए चेतावनी बोर्ड
कलियासोत-केरवा फॉरेस्ट एरिया से टाइगर मूवमेंट दर्शाने वाले वन विभाग के तमाम बोर्ड नष्ट कर दिए गए हैं। इससे भी वहां पहुंचने वाले नए नशेड़ी यह नहीं जाने पाते कि यहां टाइगर मूवमेंट है और पूरे इत्मीनान से बैठकर नशा करते हैं।
-अपने को मैच्योर और मॉडर्न दिखाने के चक्कर में यंगस्टर्स नशा शुरू कर देते हैं। इससे उनकी इम्युनिटी पावर, लिवर, फेफड़े आदि प्रभावित हो जाते हैं, जिससे अवसाद, पागलपन, लड़ाई-झगड़ा, चोरी, आत्महत्या की प्रवृत्ति पनपती है। वे असामाजिक हो जाते हैं। सबसे पहले मानसिक फिर शारीरिक लक्षण उभरते हैं।
-डॉ. प्रीतेश गौतम, मनोचिकित्सक व ड्रग डी-एडिक्शन एक्सपर्ट
विभाग की टीम समय-समय पर छापे मारकर कार्रवाई करती है। गांजा-चरस बेचने के अड्डे पता कर कार्रवाई की जाएगी।
शोभित कोस्टा, डिप्टी कंट्रोलर, एफडीए
कलियासोत इलाके में गश्त करती है। कोलार, चूनाभट्टी व रातीबड़ थानों की पुलिस को वहां देखने के लिए कहा जाएगा।
भूपेन्द्र सिंह, सीएसपी, हबीबगंज