मामले की गंभीरता को देखते हुए एनटीसीए ने वाइल्ड लाइफ को तत्काल इस पर रोक लगाने के निर्देश देते हुए पूर्व के आदेश का पालन करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2012 में नेशनल पार्कों में पर्यटकों को प्रवेश देने के संबंध में एक गाइड लाइन तय की थी। इसमें इस बात का उल्लेख था कि कोर एरिया के 20 फीसदी हिस्से में ही पर्यटकों के भ्रमण के लिए अनुमति दी जा सकेगी।
पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव हरिरंजन राव ने 20 अक्टूबर को इस गाइड लाइन को दर किनार करते हुए कान्हां, पेंच, पन्ना, बांधवगढ़ और सतपुड़ा नेशनल पार्कों में करीब 150 सफारी तक बढ़ाने के निर्देश दिए थे। पर्यटकों की संख्या सिर्फ टाइगर कंजरवेशन प्लान के आधार पर ही बढ़ाई गई थी, इस संबंध में एनटीसीए से अनुमति नहीं ली गई थी। ये आदेश आचार संहिता लागू होने के बाद जारी किए गए थे।
पर्यटन पीएस राव के कहने पर जारी हुए थे निर्देश
दुबे ने अपनी शिकायत में कहा था कि वाईल्ड लाइफ के अफसरों ने पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव हरिरंजन राव के कहने पर यह निर्देश जारी किए थे। राव इस पूरे मामले में पर्यटन व्यवसायियों को फायदा पहुंचाना चाहते थे।
कार्रवाई की जानी चाहिए
एनटीसीए की अनुमति के बिना नेशनल पार्कों में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इन अधिकारियों ने आदर्श आचार संहिता का भी उल्लंघन किया है।
– अजय दुबे, सूचना अधिकार आंदोलन के संरक्षक
पर्यटकों की संख्या में संशोधन किया है
नेशनल पार्कों में पर्यटकों की संख्या में संशोधन किया है। कुछ नेशनल पार्कों में पर्यटकों की संख्या बढ़ाई गई है तो कुछ में कम की गई है। यह संख्या टाइगर कंजर वेशन प्लान के तरह बढ़ाई गई थी।
– आलोक कुमार , एपीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ