मध्यप्रदेश सरकार अब क्राफ्ट आधारित पर्यटन की दिशा में काम कर रही है। प्रदेश के हस्तशिल्प , माटीकला आदि को बढ़ावा देने के मकसद से यह काम किया जा रहा है। इसके अंतर्गत पर्यटन विभाग प्रदेश के ऐसे क्षेत्रों को टूरिज्म से जोड़ रहा है जहां धातु, मिट्टी और रेशम आदि का काम किया जाता है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इन क्षेत्रों में पर्यटक आएंगे तो उन्हें जहां प्रदेश की कला देखने और समझने का मौका मिलेगा वहीं यहां के उत्पाद भी बिकेंगे. इतना ही नहीं, ये उत्पाद विश्वस्तर पर प्रसिद्ध भी होंगे।
अभी तक प्रदेश में धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, नैसर्गिक और वन्यजीव पर्यटन पर ध्यान दिया गया है। अब पर्यटन विभाग प्रदेश के प्रसिद्ध हेंडीक्राफ्ट को भुनाने की तैयारी कर रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में धातु, मिट्टी, रेशम के कई उत्पाद तो विश्व प्रसिद्ध हैं पर ग्रामीण अनेक अन्य अच्छे उत्पाद भी तैयार कर रहे हैं। उनकी इस कला को विश्वभर में पहुंचाने के लिए क्राफ्ट पर्यटन पर काम किया जा रहा है। अभी ये उत्पाद बहुत सस्ते में बेचने पड़ते हैं लेकिन टूरिस्टों के आने के बाद कलाकारों को खासा फायदा होगा.
अधिकारियों के अनुसार महेश्वर-चंदेरी की साड़ियां विश्व प्रसिद्ध हैं। रेशम के धागों से बननेवाली इन साड़ियों के कारीगरों के साथ टूरिस्टों को ठहराया जाएगा. प्रदेश की परंपरागत गोंड-भील पेंटिंग भी काफी प्रसिद्ध है। इसी तरह टीकमगढ़ में पीतल एवं सतना के पास कांसे के बर्तन और शो पीस बनानेवालों से भी टूरिस्टों को रूबरू कराया जाएगा.
इसके लिए इन क्षेत्रों में पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रहीं हैं। पर्यटक कारीगरों के बीच रुकेंगे, तो क्राफ्ट आर्ट को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटक न केवल उत्पाद खरीदेंगे बल्कि इसकी ब्रांडिंग भी खुद ही करेंगे. इससे क्राफ्ट आर्ट से जुड़े ग्रामीणों की आमदनी बढ़ेगी। ग्रामीण अपने उत्पादों को आनलाइन भी बेच सकेंगे. इसके लिए पर्यटन विभाग ने एक प्रसिद्ध वेबसाइट से संपर्क किया है। इस वेबसाइट पर प्रमाणिक भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पाद ही बेचे जाते हैं। ई-कामर्स साइट पर भी ये उत्पाद डाले जाएंगे।