विधि विरोधी बच्चों को कोर्ट या जेल नहीं ले जाया जाता। उनके लिए किशोर न्याय बोर्ड है। विधि विरोधी कार्य करने वाले बच्चों को इस बोर्ड में पेश किया जाता है। यदि उनका अपराध गैर जमानतीय है तो उन्हें बाल संप्रेषण गृह में भेजा जाता है। विधि विरोधी बालकों के साथ किस तरह बर्ताव करें और क्या प्रक्रिया है, इसकी जानकारी वे जिला पुलिस बल, जीआरपी, आरपीएफ आदि को देते हैं। इसके सिवा बाल अधिकारों व सुरक्षा से संबंधित जानकारी श्रम, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, रेलवे आदि विभागों के कर्मचारियों को देते हैं। उन्होंने दो अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए हैं, जिनमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, हर थाने का एक अधिकारी, चाइल्डलाइन, वकील आदि जुड़े हैं। बच्चों से संबंधित केस में यदि किसी पुलिसकर्मी को किसी तरह की सलाह की जरूरत पड़ती है तो अविलम्ब ऑनलाइन उपलब्ध करवा दी जाती है। यदि किसी थाना क्षेत्र से कोई बच्चा गुम हो गया है या उसने विधि विरोधी कार्य किया है तो तत्काल सूचना दोनों गु्रपों में चलाई जाती है, जिससे एक थाना क्षेत्र के बच्चा अकसर दूसरे थाना क्षेत्र में मिल जाता है।
पुलिसकर्मियों को आईपीसी का ज्ञान तो रहता है, लेकिन बाल अधिकारों के बारे में समुचित जानकारी नहीं रहती। बच्चों को बिना काउंसलिंग किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत कर दिया जाता है, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। काउंसलिंग में यह पता चल जाता है कि बच्चे से अपराध करवाने के पीछे किसका हाथ है, तब पुलिस की मदद से असली अपराधी को पकड़ा जाता है।
अमरजीत को अभी तक कई मंचों से सम्मानित किया जा चुका है। रेलवे ने भी उनके कार्य की कद्र की है। डीआरएम ने उन्हें बाल सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए सम्मानित किया है। उन्होंने अपने सहयोगियों के माध्यम से भोपाल में कलेक्टर से यह आदेश निकलवाया कि कोई दुकानदार किसी बच्चे को व्हाइटनर नहीं बेचेगा। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
अमरजीत को अभी तक कई मंचों से सम्मानित किया जा चुका है। रेलवे ने भी उनके कार्य की कद्र की है। डीआरएम ने उन्हें बाल सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए सम्मानित किया है। उन्होंने अपने सहयोगियों के माध्यम से भोपाल में कलेक्टर से यह आदेश निकलवाया कि कोई दुकानदार किसी बच्चे को व्हाइटनर नहीं बेचेगा। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
फैक्ट फाइल
प्रशिक्षण में कवर किए थाने – 45
एक सेशन में पुलिसकर्मी- 30-35
प्रशिक्षण प्रदान करने के वर्ष – 04
बच्चों को दिया प्रशिक्षण – 2000
वयस्कों को दी गई ट्रेनिंग – 1500
पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण – 2000
प्रशिक्षण में कवर किए थाने – 45
एक सेशन में पुलिसकर्मी- 30-35
प्रशिक्षण प्रदान करने के वर्ष – 04
बच्चों को दिया प्रशिक्षण – 2000
वयस्कों को दी गई ट्रेनिंग – 1500
पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण – 2000
केस-1
शहर में एक नाबालिग बच्ची के साथ घरवालों द्वारा मारपीट की घटना के बारे में उन्हें पता चला था। बच्ची गहरे तनाव में जी रही थी और कभी भी आत्मघाती कदम उठा सकती थी। अमरजीत की टीम ने इस मामले में बच्ची व उनके परिजनों के साथ काउंसलिंग की। इसके बाद वह बच्ची और परिजन अच्छी तरह रह रहे हैं।
केस-2
पुराने शहर के एक कोचिंग संस्थान में नाबालिग स्टूडेंट्स को पढ़ाने वाले शिक्षक गलत भाषा का इस्तेमाल करते थे। बच्चियों ने इसकी शिकायत की। उसके बाद बच्चियों को कानून की जानकारी दी गई और शिक्षक को भी बताया गया कि उनका यह व्यवहार अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिए उन्हें तीन साल की सजा भी हो सकती है। इसके बाद शिक्षक ने अपना रवैया बदल लिया और बच्चियों से अच्छी तरह पेश आने लगे।
शहर में एक नाबालिग बच्ची के साथ घरवालों द्वारा मारपीट की घटना के बारे में उन्हें पता चला था। बच्ची गहरे तनाव में जी रही थी और कभी भी आत्मघाती कदम उठा सकती थी। अमरजीत की टीम ने इस मामले में बच्ची व उनके परिजनों के साथ काउंसलिंग की। इसके बाद वह बच्ची और परिजन अच्छी तरह रह रहे हैं।
केस-2
पुराने शहर के एक कोचिंग संस्थान में नाबालिग स्टूडेंट्स को पढ़ाने वाले शिक्षक गलत भाषा का इस्तेमाल करते थे। बच्चियों ने इसकी शिकायत की। उसके बाद बच्चियों को कानून की जानकारी दी गई और शिक्षक को भी बताया गया कि उनका यह व्यवहार अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिए उन्हें तीन साल की सजा भी हो सकती है। इसके बाद शिक्षक ने अपना रवैया बदल लिया और बच्चियों से अच्छी तरह पेश आने लगे।