मॉर्डन डाइट
भोजन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए ट्रांस फैट का उपयोग किया जाता है। अमरीका रिपोर्ट के अनुसार एक व्यस्क रोजाना दिनभर में 5 से एक ग्राम ट्रांस फैट का सेवन करता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हालांकि अब उन फूड प्रोडक्ट पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है, जिसमें कम फैट हो।
इन फूड्स में ज्यादा होता है ट्रांस फैट
माइक्रोवेव पॉपकॉर्न में ट्रांस फैट अधिक मात्रा में होता है। इसलिए सिनेमा देखते समय पॉपकॉर्न खाने की आदत को बदल लें। तली हुई पटेटो और कॉर्न चिप्स भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके अलावा क्रैकर्स, बिस्कुट, कुकिंग, फ्रेंच फाइज, स्प्रिंग रोल्स, नॉन डेयरी कॉफी वाइटनर्स में भी यह फैट ज्यादा होता है।
फूड लेबल जरूर देख लें
किसी भी फूड प्रॉडक्ट को खरीदने से पहले उसके लेबल को चैक करना जरूरी है। कुछ प्रॉडक्ट में ट्रांस फैट की मात्रा छिपी हुई होती है। इसकी जगह पर लेबल पर हाइड्रोजनेट वेजिटेबल ऑयल के नाम से लिखा होता है। यह भी ट्रांस फैट ही होता है। इसलिए फूड लेबल देखने के बाद प्रॉडक्ट का सेवन करें।
इस तरह कर सकते हैं अवॉइड
वेजिटेबल ऑयल के रूप में ऑलिव ऑयल और सूर्यमुखी के तेल का उपयोग किया जाना चाहिए। बाजार में मिलने वाले केक, बिस्कट और मफिन का सेवन नहीं करना चाहिए। पेस्ट्री एवं डीप फ्राइड फूड के सेवन से भी बचना चाहिए। इनमें ट्रांस फैट की मात्रा बहुत अधिक होती है।
बढ़ रहे हैं हृदय रोग
ट्रांस फैट शरीर में बुरे कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाने के साथ ही अच्छे कोलेस्ट्रोल का लेवल भी कम करता है। कुछ अध्ययनों से यह भी सामने आया कि ट्रांस फैट हार्ट डिजीज की आशंका बढ़ाते हैं। इससे शरीर में कोलेस्ट्रोल व लाइपोप्रोटीन का लेवल बढ़ता है। लाइपोप्रोटीन, कोलेस्ट्रोल को वहन करने का काम करता है।
टाइप-२ डायबिटीज
ट्रांस फैट डायबिटीज का रिस्क भी बढ़ाता है। 80 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार जिन महिलाओं ने ट्रांस फैट का सेवन ज्यादा किया, उनमें डायबिटीज का रिस्क ज्यादा देखा गया। ट्रांस फैट इंसुलिन की सक्रियता को प्रभावित कर रक्त शर्करा का स्तर बढ़ाने का काम भी करता है।
इंफ्लेमेशन बढ़ाए
इंफ्लेमेशन संबंधी रोगों को बढ़ाने में ट्रांस फैट एक बड़ा कारण हो सकता है। ट्रांस फैट की वजह से कई गंभीर समस्याएं जैसे हार्ट डिजीज, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, आर्थराइटिस और अन्य कई तरह के रोगों का खतरा बढ़ सकता है। ट्रांस फैट मोटे लोगों और ओवरवेट लोगों में इंफ्लेमेशन बढ़ाने का काम करता है। इस तरह इंफ्लेमेशन संबंधी गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
कैंसर का खतरा
कुछ अध्ययनों से यह भी सामने आया है कि ट्रांस फैट कैंसर की आशंका को भी बढ़ाता है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार यदि मेनोपॉज से पहले ट्रांस फैट का सेवन किया जाता है तो मेनोपॉज के बाद ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। मोटे लोगों में भी इसकी आशंका अधिक होती है। ट्रांस फैट ब्लड वैसल्स की आंतरिक परत को भी नुकसान पहुंचाने का काम करता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद गंभीर है।