हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर में लगे हाइटेक डस्टबिन की तरह ही स्मार्ट बिन शहर में 100 लोकेशंस पर 150 स्मार्ट बिन लगाई जानी थीं, लेकिन बाद में काम 130 स्मार्ट बिन पर ही अटक गया। इन स्मार्ट बिन पर लगभग 13.50 करोड़ खर्च किए गए। इस छोटे से स्मार्ट बिन में दो टन कचरा इक्ट्ठा करने की क्षमता है,
लेकिन इनका उपयोग होने की जगह कभी खराब और कभी बंद पड़ी मिलती हैं। स्मार्ट बिन मेंटेन करने की जिम्मेदारी बेंगलुरू बेस्ड जोंटा इन्फ्रा कंपनी की है, जिसने स्मार्ट बिन मैनेज करने के लिए दो गाडिय़ां, दो इंजीनियर, 4 सुपरवाइजर (दो डे/दो नाइट टाइम), 6 ड्राइवर और 4 हेल्पर लगाए हैं। इनके जिम्मे शहर की 130 स्मार्ट बिन की व्यवस्था है। स्मार्ट बिन भरते ही सेंसर से स्मार्ट सिटी टीम को पता चल जाता है और वे जोन्टा की टीम से कचरा खाली करवा कर आदमपुर छावनी डलवाते हैं।
शहर में कुछ स्मार्ट बिन उखाड़े जा रहे हैं। अशोका गार्डन दशहरा मैदान के सामने लगे स्मार्ट बिन को करीब 15 दिन पहले उखाड़ दिया गया। यहां कचरा अब नगर निगम का अमला कलेक्ट करेगा। सूत्रों की मानें तो जोंटा कंपनी अपने संसाधन की सुविधा के अनुसार स्मार्ट बिन के लिए स्थान चुन रही है। जहां उनके स्टाफ और गाडिय़ों को कचरा कलेक्ट करने में दिक्कत होगी, वहां से स्मार्ट बिन हटवाए जाएंगे।
इनका कहना है…
स्मार्ट बिन के लिए लोकेशन बदले जाने का काम चल रहा है, जिससे अधिक से अधिक स्वच्छता सुनिश्चित की जा सके। इसके तहत स्मार्ट बिन अब स्कूल-कॉलेज, हॉस्पिटल के पास या निजी कॉलोनी जहां कचरा डोर-टूर-डोर कचरा इक_ा कराया जाता हो, वहां लगाए जाएंगे। स्मार्ट बिन के प्लेटफार्म भी अच्छे बनाए जा रहे हैं। अशोका गार्डन दशहरा मैदा में बरसात में कीचड़ होती थी, जिससे गाड़ी के घूमने की बहुत दिक्कत थी। इसलिए स्मार्ट बिन वहां से हटाया गया।
– ऋषभ चौहान, प्रभारी-स्मार्ट बिन, स्मार्ट सिटी