दरअसल ट्रांसपोर्टरों की बीते शुक्रवार से देशव्यापी हड़ताल चल रही है। देश के करीब 94 लाख ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं। अकेले मध्यप्रदेश में करीब 4 लाख ट्रक एक सप्ताह से खड़े हुए हैं। यहां से दूसरे राज्यों में जाने एवं आने वाले माल की डिलीवरी को लेकर काफी परेशानी हो रही है।
ऐसे में बहुत जरूरी सामान की सप्लाई बसों से भी होने लगी है। इस मामले में राज्य कर एवं जीएसटी विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। ट्रांसपोर्ट कारोबारियों का कहना है कि हड़ताल के व्यापक असर से ग्राहकों से रोजाना जद्दोजहद हो रही है। उन पर माल पहुंचाने का काफी दबाव बना हुआ है।
श्री भोपाल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक मालपानी एवं ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कंपनीज के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर लाल राजपूत तथा ट्रांसपोर्टर राजेन्द्र ङ्क्षसह बग्गा ने बताया कि किराना, कपड़ा, दवा, अनाज व्यापारियों के अलावा ट्रांसपोर्ट हम्माल मजदूर संघ ने भी हड़ताल को समर्थन दे दिया है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली में ट्रांसपोर्टरों की सरकार से बातचीत चल रही है। जल्दी ही कोई सार्थक परिणाम निकलने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि दूध, फल-सब्जी का परिवहन करने वाले वाहनों को हड़ताल से दूर रखा गया है।
यदि बसों से कोई सामान का परिवहन हो रहा है और यदि उस माल की कीमत 50 हजार रुपए से ऊपर है, तो इ-वे बिल होना चाहिए। इससे कम पर कार्रवाई नहीं की जाती। विभाग की टीम को चैकिंग पर लगाया गया है।
प्रदीप दुबे, ज्वाइंट कमिश्नर, स्टेट जीएसटी