क्या होता है ‘गोल्डन ऑवर’
गंभीर हालत विशेषकर एक्सीडेंट मामलों में पहला घंटा अति महत्वपूर्ण होता है। अगर इस दौरान इलाज शुरू हो जाए तो मरीजों के मरने की आशंका 70 फीसदी तक कम हो सकती है। इस एक घंटे को ही ‘गोल्डन ऑवरÓ कहा जाता है।
कहां कितने बेड
अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक रेड जोन में कार्डियक मॉनीटर और वेंटीलेटर के साथ सक्शन मॉनीटर, डीफेब्रीलेटर जैसी होंगी ही। साथ ही यहां पोर्टेबल एक्स-रे मशीन तो वेंटिलेटर भी होगा। रेड जोन में 4 बिस्तर आरक्षित होंगे। इसी तरह यलो जोन में 6 बिस्तर और ग्रीन जोन में 8 बिस्तर होंगे।
ऐसे होगा काम
इसके लिए अस्पतालों के सीएमओ की एक पैनल तैयार किया जाएगा जो अस्पताल में रहेंगे। यह डॉक्टर सबसे पहले घायलों की जांच करेंगे। वे मरीजों को उनकी स्थिति के अनुसार जोन में रेफर कर देंगे। हर जोन के लिए स्पेशल टीम होगी।
यह होगा फायदा
अभी गंभीर मरीजों के इलाज के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। इमरजेंसी में मरीज आने पर उन्हें जांच से लेकर इलाज के लिए अलग अलग जगह भटकना पड़ता है। कई बार इसमें ही एक घंटे से ज्यादा समय लग जाता है। इससे मरीज की हालत और बिगड़ जाती है।