भाजपा को अपनी सीट बचाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ेगी, क्योंकि यहां के भाजपा सांसद अनूप मिश्रा का कार्यकाल विवादित रहा है। वहीं, कांग्रेस को भाजपा से सीट छीनने के लिए कड़ी मेहनत करना पड़ेगी। बसपा मुकाबले में नया मोड़ लाएगी।
– कार्यकर्ताओं की बात को सुनना और हर समाज के बीच पैठ।
– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अच्छे संबंध।
कमजोरी : आसानी से उपलब्ध नहीं होने से नाराजगी।
भाजपा में गुटबाजी का आरोप।
बार-बार सीट बदलते रहे हैं। पूर्व में सांसद रहने के दौरान यहां करोड़ों रुपए के विकास कार्य कराए। नैरोगेज को ब्रॉडग्रेज में बदलाव के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कांग्रेस मुद्दा विहीन और एक परिवार की पार्टी बनकर रह गई है।
– नरेन्द्र सिंह तोमर, भाजपा प्रत्याशी
– क्षेत्र में बहुतायत संख्या में जातिगत मतदाताओं का होना।
– क्षेत्र की रीति-नीति से परिचित।
कमजोरी : कांग्रेस में गुटबाजी।
– हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में पराजय।
– स्वभाव को लेकर भी रहते हैं चर्चा में। भाजपा जुमलेबाजों की सरकार है। इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में मिला है, जनता लोकसभा चुनाव में भी बाहर का रास्ता दिखाएगी। इस क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा विकास है।
– रामनिवास रावत, कांग्रेस प्रत्याशी
1822101 कुल वोटर
986964 पुरुष वोटर
835161 महिला वोटर
2351 मतदान केंद्र वर्ष : 2014
854281 : कुल पड़े मत : 50.18% अनूप मिश्रा, भाजपा 375657 42.21%
डॉ. गोविंद सिंह, कांग्रेस 184025 21.69%
वृंदावन सिकरवार, बसपा 242586 28.56%
यह सीट 1967 में अस्तित्व में आई, जहां पहली जीत निर्दलीय आत्मदास ने दर्ज की। 1977 में यहां से लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल से छबिराम अर्गल जीते। मुरैना संसदीय सीट पर अभी तक हुए लोकसभा चुनाव में छह बार भाजपा, एक बार जनसंघ ने जीत हासिल की है। यहां से कांग्रेस तीन बार, एक बार निर्दलीय और एक बार लोकदल के प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं। वर्तमान में इस सीट पर कुपोषण, नैरोगेज को ब्राडगेज में परिवर्तन, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है।