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यहां रावण दहन के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग, जानिए क्या है कारण

locationभोपालPublished: Oct 08, 2019 04:41:39 pm

Submitted by:

Faiz

आदिवासियों ने रावण को बताया उनका देवता, कहा रावण दहन से हमारी आस्था को ठेस पहुंचती है। इसलिए रावण दहन पर प्रतिबंध लगाया जाए। इस संबंध में आदिवासियों ने विरोध करते हुए कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया, साथ ही राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा।

ravan dehan

यहां रावण दहन के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग, जानिए क्या है कारण

भोपाल/ देशभर में जहां बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माने जाने वाले दशहरे को लोग आज बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाने की तैयारी कर रहे हैं। आज के दिन लोग एक दूसरे को बुराई पर विजय की बधाई देते हुए आमतौर पर नज़र आ रहे हैं। जगह जगह रावण दहन की तैयारी जोरों शोरों पर की जा रही है। वहीं, मध्य प्रदेश में एक गांव ऐसा भी है जहां के लोग रावण दहन को रावण के अपमान के रूप में देख रहे हैं। यही नहीं ये लोग रावण दहन के विरोध में खुलकर सड़कों पर उतर आए हैं।

जैसा कि, हम सभी जानते हैं कि, रावण को आदिकाल से ही बुराई का प्रतीक माना जाता आ रहा है। लेकिन, प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के देवरी में रावण को विजयादशमी पर दहन से बचाने के लिए आदिवासी समाज एकजुट हो गया है। उन्होंने रावण को आदिवासियों का देवता बताते हुए सरकार से रावण पुतला दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इसी सिलसिले में इन लोगों ने कलेक्ट्रेट का घेराव करके प्रदर्शन तो किया ही। साथ ही, राज्यपाल को इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा। प्रदर्शन करने वाले लोगों ने कहा कि, इससे हमारी आस्था को ठेस पहुंचती है। इसलिए शांति स्थापित करने हेतु जल्द से जल्द रावण दहन पर प्रतिबंध लगाएं।

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देवरी में रावण का विशाल मंदिर

आपको बता दें कि, जिले में रावण की पूजा की जाना कोई नई बात नहीं है। साल 2008 में गोंडवाना के पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी ने हर्रई विकासखंड के ग्राम देवरी में रावण का मंदिर स्थापित करवाया था। रावण के इस खास मंदिर में हर साल दशहरे के दिन भव्य पूजा आयोजित की जाती है। आदिवासी समाज रावण के पुत्र मेघनाद को खंडेरा बाबा के नाम पर पूजते आ रहे हैं। जिले में 250 स्थानों पर खंडेरा बाबा के मंदिर स्थापित हैं। दशहरे के अलावा हर साल होली पर भी खंडेरा बाबा की पूजा अर्चना की जाती है।

 

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रावण दहन को बचाने सड़क पर उतरे ये लोग

जो लोग रावण दहन के विरोध में उतरे है उनमें मुख्य रूप से आदिवासी समाज के सदस्य दशरथ उइके, झमकलाल सरेयाम, रामराव उइके, मिथुन धुर्वे, चंचलेश काकोड़े, संतराम तेकाम, शुभम उइके शामिल हुए। राज्यपाल को दिये ज्ञापन में इन लोगों ने कहा कि, रावण दहन से उनकी आस्था पर ठेस पहुंचती है। साथ ही, रावण दहन में भारी मात्रा में पटाखों का इस्तेमाल भी होता है, जो प्रदूषण का बड़ा कारण है। इसपर सरकार को जल्द से जल्द रोक लगानी चाहिए।

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