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पातालकोट की सौदेबाजी में सीएम से छिपाया सच, पर्यटन के नाम पर बंदरबांट

locationभोपालPublished: Feb 02, 2019 11:26:57 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

आदिवासियों से छल : प्रमुख सचिव के स्पष्टीकरण में हकीकत से परे तथ्य, कमलनाथ ने तलब की थी डील की रिपोर्ट, पातालकोट की सौदेबाजी में सीएम से छिपाया सच
 

patalkot tourist places

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भोपाल/ छिंदवाड़ा/ छिंदी आदिवासी बहुल पातालकोट के ऊपरी हिस्से बीजाढाना को दिल्ली की निजी कंपनी को सौंपने के बारे में पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव हरिरंजन राव ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपना स्पष्टीकरण दे दिया। कैबिनेट की मंजूरी के बिना हुई इस सौदेबाजी की खबर पत्रिका में छपने के बाद कमलनाथ सरकार ने राव से इस डील की रिपोर्ट तलब की थी।
उधर, यूरेका कैम्पआउट्स प्राईवेट लिमिटेड ने पातालकोट के बीजाढ़ाना की 7.216 हेक्टेयर भूमि पर तारबंदी कर लगाए गए बोर्ड को पुतवा दिया है। उसने इस बोर्ड पर लिखा था कि यह जमीन लीज पर ली है, जो उसकी निजी संपत्ति है। हकीकत में पर्यटन विभाग के रिकॉर्ड में उसे लाइसेंस पर देना बताया गया है। फर्म ने मनमाने तरीके से तारबंदी कर रातेड़ पाईंट से आदिवासियों और पर्यटकों का रास्ता रोक दिया।

पत्रिका ने की राव की रिपोर्ट की पड़ताल, ज्यादातर तथ्यों पर सवाल

प्रमुख सचिव हरिरंजन राव ने सरकार को दिए स्पष्टीकरण में जो तथ्य दिए हैं, उनमें बताए ज्यादातर तथ्य सवालों में हैं। उन्होंने इसकीप्रति पत्रिका को भी उपलब्ध कराई है। इनके जवाब और हकीकत इस तरह हैं-

स्पष्टीकरण: यूरेका कैम्पआउट को तीसरे टेंडर में सिंगल टेंडर के नाम पर मंजूर किया। तकनीकी एवं वित्तीय दक्षता के मापदंड पहली निविदा के समान रखे गए थे। परीक्षण समिति की बैठक में उसे सही पाया गया।

हकीकत – पहली बार टेंडर में किसी कंपनी ने भाग नहीं लिया। दूसरी बार के टेंडर में एक मात्र यूरेका शामिल हुई। तकनीक परीक्षण में उसे अयोग्य माना। दोनों टेंडर तत्कालीन एमडी छवि भारद्वाज ने निरस्त किए, लेकिन उनका तबादला होते ही राव के कार्यकाल में तीसरे टेंडर में यूरेका को योग्य मान लिया। सवाल है कि कंपनी पर इतनी मेहरबानी क्यों।

स्पष्टीकरण: लाइसेंस एग्रीमेंट पूरा होने के बाद यूरेका को जुलाई 2018 में जमीन का आधिपत्य सौंपा गया।

हकीकत – यूरेका पर अधिकारी इतने मेहरबान थे कि तत्कालीन छिंदवाड़ा कलेक्टर खुद उसे बीजाढाना का आधिपत्य दिलाने मौके पर पहुंचे। राव को अंदेशा था कि आदिवासी कंपनी को कब्जा लेने से रोक सकते हैं।

स्पष्टीकरण: बीजाढाना में कोई पर्यटन सुविधा नहीं थी। कंपनी ने भूमि आधिपत्य लेने के बाद साइट डेवलपमेंट पर एक करोड़ रुपए खर्च किए।

हकीकत – यूरेका को पहले से ही वहां बाउंड्रीवॉल व व्यू पाइंट मिले थे। उसने तारबंदी की और टेंट लगाए। इससे आदिवासियों और पर्यटकों का रास्ता बंद हो गया।


स्पष्टीकरण: यूरेका कंपनी वहां 2 कैम्प संचालित कर चुकी है। वर्तमान में तीसरा कैम्प
चल रहा है।

हकीकत – पत्रिका टीम ने बीजाढाना पहुंचकर सच जाना तो वहां बच्चों का कोई कैम्प नहीं मिला। सवाल है कि मुख्यमंत्री को गलत जानकारी देकर कंपनी को क्यों बचाया जा रहा है।

स्पष्टीकरण: पर्यटन नीति में साहसिक गतिविधियों के लिए भूमि को लीज या लायसेंस पर निजी कंपनी को देने के लिए संचालक मंडल से 3 जुलाई 2017 को अनुमोदन लिया गया। इसमें एमडी को अधिकृत किया।

हकीकत – सरकारी जमीन लीज या लाइसेंस पर देने से पहले कैबिनेट का अनुमोदन होना जरूरी है। पर्यटन नीति में भी स्पष्ट है कि भूमि को लाइसेंस पर दिए जाने के लिए लाइसेंस अवधि, शर्तें तथा फीस का निर्धारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति करेगी। प्रमुख सचिव राव ने इसे अनदेखा किया।

पहले लगाया लीज का बोर्ड, अब पोत दिया
यूरेका ने बीजाढाना की तारबंदी करने के बाद गेट पर इसे निजी संपत्ति बताते हुए जमीन को लीज पर लेना बताया था। पत्रिका में खबर छपने के दो दिन बाद उसने बोर्ड को पुतवा दिया है, लेकिन पर्यटक और आदिवासियों के लिए नो एंट्री का बोर्ड अभी भी लगा हुआ है।

नया व्यू पाइंट बनाएंगे
यूरेका की तारबंदी के बाद प्रमुख पर्यटन सचिव हरिरंजन राव ने कहा, पर्यटकों के लिए पातालकोट में नया वैकल्पिक व्यू पाइंट बनाने की जरूरत है। अभी दो व्यू पाइंट हैं। एक पिर निजी कंपनी का कब्जा है।

 

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