प्रश्न: छोटी उम्र में शिक्षा, कला व समाजसेवा का तालमेल बैठाना और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना… कैसे कर पाती हैं?
उत्तर: पापा नियमित ब्लड डोनर हैं। अब 69 बार रक्तदान कर चुके हैं। उन्हें देखती थी। जब मुझे बालश्री अवॉर्ड मिला, कई संगठनों-प्रशासन ने सम्मान किया। इसने समाजसेवा के लिए प्रेरित किया। मैं स्वच्छता, रक्तदान, थैलेसीमिया उन्मूलन, देहदान, पर्यावरण संरक्षण, जल संवर्धन, निर्धन कन्या विवाह सहायता, गरीबों को शिक्षा जैसे सामाजिक कार्य कर रही हूं।
प्रश्न: आपको थिएटर के क्षेत्र में राष्ट्रीय बालश्री पुरस्कार मिला है, इसके पीछे किसका योगदान और प्रेरणा मानती हैं?
उत्तर: पापा शिक्षक, थिएटर आर्टिस्ट, लेखक, मंच संचालक, मम्मी अच्छी डांसर-सिंगर और ताऊजी कवि और मोटिवेशनल स्पीकर हैं। बचपन से ही घर में कला-साहित्य का माहौल मिला है। संभागीय बालभवन, मेरी शाला स्मॉल वंडर्स, आर्ट सेंसेशन ने मार्गदर्शन दिया। मेरी नाट्य संस्थाएं विवेचना रंगमंडल, नाट्य लोक व विवेचना थियेटर के गुरुजनों से अभिनय सीखा।
प्रश्न: एक समाजसेविका के रूप में अपने योगदान को आप किस तरह आंकती हैं?
उत्तर: जब दूसरे समाजसेवकों के त्याग, समर्पण, संघर्ष देखती हूं तो खुद को कहीं नहीं पाती। मेरे प्रयास अभी प्रारंभिक स्तर पर हैं। मैंने 18वें जन्मदिन पर पहली बार रक्तदान किया। स्लम और थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के बीच समय बिताया।
– श्रेया खंडेलवाल, समाजसेविका