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एमपी बोर्ड के पास जमा परीक्षाओं के पौने दो सौ करोड़

locationभोपालPublished: Jun 15, 2021 04:31:14 pm

Submitted by:

Arun Tiwari

सरकार ने कहा प्रश्रपत्र और कॉपी छापने में हुआ खर्च
अभिभावकों ने वापस मांगी परीक्षा फीस
 

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भोपाल : कोरोना संक्रमण के कारण एमपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की वाार्षिक परीक्षाएं रद्द हो गईं और मूल्यांकन के आधार पर मार्कशीट तैयार की जा रही हैं। ऐसे में अब परीक्षा फीस का मुद्दा उठने लगा है। एमपी बोर्ड के पास दसवीं और बारहवीं की परीक्षा शुल्क के रुप में करीब पौने दो सौ करोड़ रुपए जमा हैं। अभिभावक कहते हैँ कि जब परीक्षाएं नहीं हुईं तो फिर किस बात का परीक्षा शुल्क। सरकार को ये शुल्क छात्रों को वापस करना चाहिए। सरकार परीक्षा फीस वापस करने को तैयार नहीं है।

इतना परीक्षा शुल्क जमा :
इस साल दसवीं में करीब 10 लाख 65 हजार छात्र परीक्षा देने वाले थे। वहीं 7 लाख 35 हजार छात्र हायर सेकंडरी की परीक्षा में बैठने वाले थे। इस तरह करीब 18 लाख छात्रों ने अपनी परीक्षा फीस जमा की है। 900 रुपए प्रति छात्र की परीक्षा फीस के हिसाब से करीब 160 करोड़ रुपए बोर्ड ने वसूल किए। वहीं लेट फीस के नाम पर छात्रों से दो हजार से पांच हजार रुपए तक लिए गए। इस तरह परीक्षा शुल्क के नाम पर एमपी बोर्ड के पास करीब 180 करोड़ जमा हो गए।

अभिभावकों ने वापस मांगी फीस :
बोर्ड की दोनों परीक्षा रद्द होने के बाद अब अभिभावकों ने परीक्षा शुल्क वापस मांगा है। पालक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा कहते हैं कि वे सरकार को ज्ञापन सौंपने जा रहे हैं जिसमें परीक्षा शुल्क वापस करने की मांग की जा रही है। विश्वकर्मा ने कहा कि यदि प्रश्रपत्र और उत्तर पुस्तिकाएं छप गईं थीं तो उन पर बीस फीसदी करीब 30 से 35 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे लेकिन बाकी का पैसा तो सरकार को बच्चों के खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर करना चाहिए। संघ ने कहा कि बोर्ड के साफ्टवेयर में गड़बड़ी का खामियाजा छात्रों ने उठाया है और उनसे दो हजार से दस हजार रुपए तक लेट फीस वसूली गई। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि जिन्होंने लेट फीस जमा की है उनकी मार्कशीट पर प्रायवेट लिखा आएगा। ये बच्चों के साथ अन्याय है।

शुल्क वापस नहीं होगा :
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार कहते हैं कि परीक्षा शुल्क के वापस करने या फिर आगे समायोजन करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सरकार तो परीक्षा कराने के लिए पूरी तरह तैयार थी लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए ही परीक्षा रद्द की है। सरकार प्रश्रपत्र और उत्तर पुस्तिकाएं छपवा चुकी है, केंद्र बनाने की सारी व्यवस्थाएं की जा चुकी थीं, सरकार मूल्यांकन के आधार पर मार्कशीट भी छपवा रही है इसलिए इन सारी व्यवस्थाओं में यही फंड खर्च हुआ है।
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