झांसी निवासी परवेज अहमद और भोपाल निवासी नादानी राजपूत किडनी की समस्या से जूझ रहे थे। लेकिन डोनर की किडनी मैच नहीं होने के कारण दोनों ही मरीज परेशानी से जूझ रहे थे। बंसल अस्पताल में आने के बाद यहां के चिकित्सकों ने इन्हें स्वैप ट्रांसप्लांट की सलाह दी और इसके लिए प्रयास शुरू हुए। इस पर शीघ्र ही दोनों परिवारों के बीच सहमति बन गई। इसके बाद दोनों ही परिवारों ने एक दूसरे के मरीजों को किडनी डोनेट की। नादानी राजपूत को परवेज अहमद की पत्नी शर्मिल खान ने किडनी डोनेट की, तो परवेज अहमद को नदानी राजपूत के पति भगवान सिंह राजपूत ने किडनी डोनेट की।
डॉक्टरों की टीम ने एक साथ किए चार ऑपरेशन
दो लोगों के किडनी ट्रांसप्लांट की इस जटिल प्रक्रिया को बंसल अस्पताल के डॉक्टरों ने बेहतर तरीके से निभाया। बंसल अस्पताल की विशेषज्ञ टीम को एक साथ चार ऑपरेशन करने पड़े। इस दौरान किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. संतोष अग्रवाल, ट्रांसप्लांट नेफ्रोलॉजिस्ट विद्यानंद त्रिपाठी ने अपनी टीम के साथ इस ट्रांसप्लांट को बेहतर तरीके से अंजाम दिया। उनके सहयोग के लिए निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. रितेश जैन, डॉ दीपा नवकर, डॉ लक्ष्मीकांत, डॉ. अभिनव सराफ के साथ ही बड़ी संख्या में नर्सिंग और ओटी विशेषज्ञ मौजूद थे।
इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए चिकित्सकों ने पत्रकारों से चर्चा की। डॉ.़ विद्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि आज हमारे देश में हर साल 2 लाख लोगों को किडनी की जरुरत पड़ती है, जबकि साल में महज 4 हजार ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। कई बार लोग अपने परिवार के मरीज को किडनी डोनेट करना चाहता है, लेकिन ग्रुप मेच नहीं होता। इस स्थिति में स्वैप ट्रांसप्लांट बेहतर विकल्प है। अगर कोई दो परिवार जिनके मरीज के लिए आपस में किडनी मैच हो जाती है, वे सहमति बनाकर इसे कर सकते हैं और मरीज को नया जीवन दे सकते हैं। डॉ संतोष अग्रवाल ने बताया कि स्वेप ट्रांसप्लांट में किडनी की अदला बदली होती है। दोनों ही ट्रांसप्लांट एक ही दिन करने होते हैं। इस मौके पर डॉ गोपेश मोदी, बसंल अस्पताल के सीईओ डॉ शिशिर, डॉ डीके वर्मा ने भी अपने विचार रखे।