दिग्विजय सिंह और सिंघार विवाद में उमंग सिंघार के दोषी पाए जाने के बाद सिंघार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हो सकती है। जानकारों का कहना है कि अगर सोनिया गांधी इस मामले में सख्त फैसला लेती हैं तो उन्हें 2 साल तक के लिए पार्टी से निलंबित भी किया जा सकता है। या उन्हें मंत्री पद भी छोड़ना पड़ सकता है लेकिन यह भी कहा जा रहा है कांग्रेस मध्यप्रदेश में अभी इतनी मजबूत नहीं है कि अपने एक धड़े को नाराज करे। उमंग सिंघार प्रदेश के बड़े आदिवासी नेता हैं।
हाल ही में कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह और कमल नाथ जैसे नेताओं को दर किनार कर झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए उमंग सिंघार को स्टार प्रचार बनाया है।
दरअसल, मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने तीन महीने प्रदेश के सभी मंत्रियों को एक लेटर लिखा था। ये लेटर सोशल मीडिया में वायरल हो गया था। इस लेटर के वायरल होने के बाद उमंग सिंघार ने कहा था कि दिग्विजय सिंह को लेटर लिखने की क्या जरूरत है वो पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे हैं। इसके बाद उन्होंने दिग्विजय सिंह पर कई आरोप लगाए थे।
विवाद के बाद उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह की शिकायत कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी की थी। उमंग सिंघार द्वारा लिखा लेटर भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। इस लेटर में उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह के साथ-साथ उनके बेटे और प्रदेश के मंत्री जयवर्धन सिंह को भी लपेटे में लिया था।
इस विवाद पर सोनिया गांधी ने नाराजगी जताई थी। सोनिया इस बात से नाराज थीं कि इस तरह के विवाद से पार्टी की विश्वासनीयता पर सवाल खड़े होते हैं। सोनिया गांधी ये संदेश भी देना चाहती थी कि अनुशासन, आचरण और मूल्यों के इतर उनकी पार्टी में किसी के लिए कोई जगह नहीं है। रिपोर्ट के आधार पर या तो सोनिया गांधी कड़ा एक्शन ले सकती हैं या फिर सख्त हिदायत के साथ उनको माफी भी मिल सकती है। हालांकि अंतिम फैसला सोनिया गांधी को ही करना है।
वहीं, मध्यप्रदेश के सीएम कमल नाथ को शुक्रवार को ही दिल्ली में तलब किया गया है। सीएम कमल नाथ और दिल्ली में सोनिया गांधी के साथ मुलाकात कर प्रदेश के सियासी समीकरण के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
सोनिया गांधी को लिखे लेटर में उमंग सिंघार ने कहा था- बड़े ही दुःख के साथ आपको यह अवगत कराना पड़ रहा है कि म.प्र.में कमलनाथ सरकार को पार्टी के ही कद्दावर नेता एवं सांसद दिग्विजय सिंह अस्थिर कर स्वंय को म.प्र.पॉवर सेंटर के रूप में स्थापित करने में जुटे हैं। वे लगातार मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों को पत्र लिखकर और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं, इन पत्रों को मजबूत विपक्ष दलों के लिए एक मुद्दा बन जाता है। दिग्विजय सिंह के पक्ष को लेकर विपक्ष आए दिन मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार को घेरने के असफल प्रयास में लगा रहता है।