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बच्चों की यूनिफार्म के लिए सितंबर में आया बजट, अफसर अब तक बांट ही नहीं पाए

locationभोपालPublished: Nov 13, 2019 07:16:56 pm

Submitted by:

Ram kailash napit

योजनाकारों के तीन प्रयोग फेल: चौथे कदम में भी व्यवस्था गड़बड़ाई

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भोपाल. सरकार की मंशानुसार 10 साल से सरकारी स्कूलों में माध्यमिक कक्षा तक के सभी विद्यार्थियों को यूनिफार्म मुहैया कराने के लिए बजट दिया जा रहा है। इसके बावजूद स्कूल शिक्षा विभाग विद्यार्थियों तक स्कूल यूनिफार्म पहुंचाने की सटीक योजना नहीं बना पाया है। विभाग तीन मॉडल अपना चुका है, लेकिन फ्लॉप साबित हुए। इसके परिणामस्वरूप विद्यार्थियों को कभी सत्र के अंत में ड्रेस मिली तो कभी सत्र बीतने के बाद भी नहीं। इस वर्ष विभाग ने दो जोड़ी डे्रस सिलवाने के लिए प्रत्येक विद्यार्थी के हिसाब से अभिभावकों के खातों में राशि देने की योजना अपनाई है। बजट सितंबर में आ गया, लेकिन राशि अभी तक सभी अभिभावकों के खातों में नहीं पहुंची है। राशि मिलने के 15 दिन में नई ड्रेस पहनकर स्कूल आने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अभी भी 50 फीसदी विद्यार्थियों को ड्रेस नहीं मिली है।

सत्र के अंत तक भी ड्रेस नहीं दे सके समूह
पिछले शैक्षणिक सत्र में सरकार ने स्व सहायता समूहों से ड्रेस सिलवाकर बच्चों को देने का प्रयोग किया था। अधिकतर समूह सत्र के अंत तक ड्रेस नहीं दे सके। जैसे-तैसे कुछ जगह डे्रस दी गईं, लेकिन वे बच्चों के नाप की नहीं थीं।
समूहों से यूनिफार्म सिलवाने में समस्याएं
-समूह काम तो ले लेते हैं, लेकिन समय पर ड्रेस नहीं दे पाते।
-समूह अलग-अलग गुणवत्ता की ड्रेस बनाते हैं। कई की ड्रेस खराब थीं।
-बड़ी समस्या नाप को लेकर है। बच्चों को छोटी-बड़ी ड्रेस मिलती है।
-समूहों का तर्क: बच्चों के नाप समय पर नहीं मिले, इसलिए सिलाई में नाप सही नहीं आ पाया।
राशि खातों में देने में आने वाली अड़चन
-राशि समय पर अभिभावकों के खातों में नहीं पहुंचती।
-बड़ी संख्या में अभिभावक बच्चों को ड्रेस नहीं दिलवाते।
-अभिभावक राशि कहीं और खर्च करें तो मॉनीटरिंग की व्यवस्था नहीं।
अभिभावकों का तर्क: 600 रुपए में दो जोड़ी ड्रेस नहीं ली जा सकती।
फैक्ट फाइल
-वर्ष 2009 में शुरू हुई योजना, तब 400 रुपए दिए जाते थे
-शुरुआती पांच साल तक प्रधानाध्यापकों के खाते में राशि आती थी, स्कूल से ड्रेस देते थे।
-वर्ष 2018 में स्व सहायता समूहों से ड्रेस सिलवाकर दी गई।
-वर्ष 2019 में ड्रेस की राशि अभिभावकों के खातों में दी जाने लगी।
-प्रदेश में माध्यमिक कक्षा तक के 42 लाख से अधिक हैं विद्यार्थी
-नौ साल तक प्रति छात्र 400 रुपए का बजट, वर्ष 2019 में किया 600 रुपए
सरकारी स्कूलों में बच्चों को यूनिफार्म देने की योजना केंद्र की है। प्रदेश की तीन व्यवस्थाएं सफल नहीं हुईं। बजट होने के बावजूद हर साल विद्यार्थी यूनिफार्म से वंचित रह जाते हैं। इसका स्थायी हल खोजना जरूरी है।
-रमाकांत पांडेय, आईटीई एक्टिविस्ट

विद्यार्थियों तक स्कूल डे्रस पहुंचने में हो रही दिक्कतों के चलते इस वर्ष अभिभावकों के खातों में रुपए डाले गए हैं। इस वर्ष पहले की अपेक्षा राशि में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है जिससे विद्यार्थी बेहतर गुणवत्ता की डे्रस खरीद सकें। अभिभावकों को पाबंद किया जा रहा है कि वह ड्रेस सिलवाकर बच्चों को दें, फिर भी कहीं समस्या आती है तो विशेषज्ञों से विमर्श करके इस व्यवस्था को फुल प्रूफ बनाया जाएगा।Ó
प्रभुराम चौधरी, स्कूल शिक्षा मंत्री
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