दरअसल रविवार को केन्द्रीय मंत्री खटीक छतरपुर के नौगांव में नवोदय विधालय में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। जहां उन्हें सपाक्स संगठन ने काले झंडे दिखाते हुए नारेबाजी की। इससे परेशान होकर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ये लोग रोहिंग्या है इनकी परवाह करने की जरुरत नहीं हैै, अपने समर्थकों से ऐसा बोलते हुए निकल गए।
इधर उज्जैन में केन्द्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि एससी—एसटी एक्ट का वही लोग विरोध कर रहे हैं, जिन्हें एक्ट में हुए बदलाव की पूरी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अग्रिम जमानत का प्रावधान समाप्त करने को मुद्दा बनाया जा रहा है, जबकि असल में इस तरह के प्रावधान तो विभिन्न एक्ट में पहले से हैं, जिसमें अग्रिम जमानत नहीं होती है। संशोधित एक्ट में यह प्रावधान भी है कि थाना प्रभारी आवश्यक होने पर ही संबंधित आरोपी को गिरफ्तार करेगा।
भ्रम यह फैलाया जा रहा है कि एट्रोसिटी एक्ट में सीधे गिरफ्तारी ही होगी, जो कि गलत है। गहलोत ने कहा कि
असल में जो संशोधन किया है, उससे किसी भी वर्ग या समुदाय का अहित नहीं होता। कोर्ट के पास विवेकाधिकार है वो प्रकरण की परिस्थिति अनुसार निर्णय ले सकती है।
असल में जो संशोधन किया है, उससे किसी भी वर्ग या समुदाय का अहित नहीं होता। कोर्ट के पास विवेकाधिकार है वो प्रकरण की परिस्थिति अनुसार निर्णय ले सकती है।
गहलोत ने कहा कि पूर्व में डीएसपी स्तर के अधिकारी एससी-एसटी एक्ट के मामले की जांच करने के लिए अधिकृत थे। अब ऐसे मामलों की जांच थाना प्रभारी या एसआई भी कर सकेंगे। इससे सुलभ न्याय की अवधारणा मजबूत होगी। केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया कि जो मंत्री, सांसद, विधायक बन गया वो हमेशा रहेगा।