
प्रतिभागी रितेश चौधरी ने बताया कि देश की हजारों साल पुरानी भील चित्रकला को जानने का यहां मौका मिला है। भील कला को कहानी, रंगो और आकारों के माध्यम से जान रही हूं। इस समृद्ध विरासत को लुप्त होने से बचाने के लिए युवा पीढ़ी की इसमें रुचि जागृत करना होगी। वहीं, प्रमिला श्रीवास ने बताया कि भील पेंटिंग के माध्यम से मुझे ट्राइबल लाइफ और करीब से जानने का मौका मिला है। मैं अपना बुटिक चलाती हूं। इन डिजाइन्स को कपड़ों पर उकेरुंगी। आज के दौर में ट्राइबल डिजाइन वाले आउटफिट्स का यूथ में काफी ट्रेंड भी है। प्रतिभागी वर्षा जोशी ने बताया कि मैं गृहणी हूं, मुझे बचपन से ही रंगों से प्यार है। जनजातीय चित्रकला रंगों और कथाओं का एक ऐसा संयोजन है जो हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है। अपनी कल्पनाओं के लोक में खोकर आप रंगों को कैनवास पर नहीं जीवन में भरते हैं। इस कार्यशाला में मुझे नई बातों को जानने का मौका भी मिल रहा है।