आपको बता दें कि, ये हाईप्रोफाइल रैकेट शहर के अशोका गार्डन इलाके से संचालित किया जा रहा था। मुखबिर द्वारा दी गई सूचना के आधार पर STF की टीम ने कार्रवाई की है। मुखबिर द्वारा टीम को बताया गया था कि, इलाके में फर्जी एडवाइजरी कंपनी खोलकर डीमेट खाते खुलवाने और शेयर मार्केट में एडवाइस के नाम पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की जा रही है। इसपर टीम रेसीडेंसी फ्लैट पर छापामारी की, जिसमें गिरोह के सरगना लोकेश राठौर एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। वो यहां किराये के फ्लैट में 10 महिला टेलिकॉलर बैठाकर कॉल सेंटर और फर्जी टेंपल रिसर्च कंपनी चला रहा था। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि, इस काम के लिये उसने युवतियों को बाकायदा ट्रेनिंंग दी है। युवतियों अपनी मीठी मीठी बातों के जरिये लोगों को प्रभावित करते हुए ठगी का शिकार बनाती थी। आरोपी के अनुसार, न तो कंपनी का रजिस्ट्रेशन है न ही सेबी में लाइसेंस।
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इस तरह देता था ठगी की वारदात को अंजाम
एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया, कि वो लोगों को ठगने के लिये टेलीकॉलिंग पर युवतियों का सहारा लेता था। इसके लिये उसने कॉलिंग पर बैठने वाली युवतियों को बाकायदा ट्रेनिंग दे रखी थी। आरोपी लोकेश राठौर इन्हीं मीठी आवाज वाली युवतियों से टेलिकॉलिंग कराया करता था। क्लाइंट का डीमेट अकाउंट खुलवाकर फिर उसका आईडी पासवर्ड हासिल करके, आगे का काम वो खुद किया करता था। वो क्लाइंट को बातों में फंसाकर खातों में पैसे ट्रांसफर करवा लेता थाय़ मुनाफा होने पर अपने खाते में कमीशन की रकम लेता था। इस दौरान अगर क्लाइंट को घांटा होता, तो वो उससे संपर्क करना ही बंद कर देता।
80 ग्राहक 70 लाख की ठगी
एसटीएफ की टीम द्वारा की गई अबतक की जांच में सामने आया है कि, आरोपी लोकेश राठौर 80 ग्राहकों से करीब 70 लाख रुपये की ठगी कर चुका है। वो क्लाइंट को बताता था कि, उसकी टेंपल रिसर्च कंपनी सेबी में रजिस्टर है। उसके दफ्तर से फर्जी कंपनी के बैनर, सील, टेलिकॉलिंग में इस्तेमाल किये जाने वाले 17 मोबाइल फोन के साथ साथ लैपटॉप भी मौजूद थे, जिसे जांच टीम ने जब्त कर लिया है। टीम अब इन लेपटॉप्स और फाइलों की जांच कर रही है।
इन लोगों को बनाते था ठगी का शिकार
12 वीं पास आरोपी लोकेश राठौर ने पढ़े लिखे लोगों को डीमेट खाते खुलवाने और शेयर मार्केट में एडवाइजरी के नाम पर ठगा। वो लड़कियों से फोन लगवाकर उनसे मीठी-मीठी बातें करवाता था। अकसर लोग उन्हीं बातों के झांसे में आकर निवेश के लिए तैयार हो जाते थे। इसके बाद वो अपने फ्रॉड को अंजाम देता था।
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