प्लास्टिक के इस बैग की खास बात यह है कि इसमें कीचड़ और पानी के बीच में भी गेहूं को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके अलावा अन्य (86 रुपए पर टन प्रति माह गोदामों का किराया) गोदामों की तुलना में इसके मासिक किराया भी काफी कम है।
प्रदेश में इस वर्ष गेहूं, चना, मसूर, सरसो का उत्पादन करीब 81 लाख टन हुआ है, जिसमें सिर्फ गेहूं का उत्पादन 74 लाख टन है। वर्तमान में करीब 130 लाख टन अनाज गोदामों रखा हुआ है।
इसमें 50 लाख टन पिछले साल का अनाज अभी तक केन्द्र सरकार ने नहीं उठाया, जिसके चलते भंडारण की सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। सबसे ज्यादा गोदामों की समस्या जबलपुर और रायसेन जिले में है। पूरे प्रदेश में गेहूं भंडारण के लिए निगम ने पांच माह पहले आफर बुलाए थे, लेकिन 50 लाख टन से ज्यादा के गोदामों का अनुबंध निजी संचालक नहीं किया।
गोदामों की दिक्कत पिछले साल भी थी, जहां पांच लाख टन गेहूं खुले गोदामों में रखा गया था। गोदामों की कमी के चलते राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को अनाज जल्द उठाने के संबंध में पत्र लिखा है।
साढ़े 6 लाख टन गेहूं खूले कैप में
प्रदेश में साढ़े 6 लाख टन गेहूं गोदाम खुले कैप में रखा गया है। इंदौर और उज्जैन सहित आधा दर्जन जिलों को छोड़ दिया जाए तो अन्य सभी जिलों में ५ हजार टन से लेकर 90 हजार टन तक गेहूं का भंडरण खुले कैप में किया गया है।
सबसे ज्यादा गेहूं जबलपुर जिले में 90, रायसेन में 70, सागर में 50 , हरदा में 55, राजगढ़ में 40 हजार टन गेहूं खुले कैप में रखा गया है। खुले कैप में अनाज भंडारण करना काफी चुनौती भरा और खर्चीला भी है।
खुले कैप में तीन-चार माह से ज्यादा समय तक गेहूं नहीं रखा जा सकता है, क्योंकि इस तरह के गोदाम में नमी ज्यादा होती है, सडऩे की संभावना ज्यादा रहती है।
अब किराया बढ़ाने की तैयारी
राज्य सरकार संचालकों को आकर्षित करने के लिए गोदामों का किराया बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने केन्द्र के पास बंद गोदामों के लिए 92 रुपए प्रति टन प्रति माह देने किराया देने का प्रस्ताव भेजा है।
गोदामों के संकट को देखते हुए केन्द्र सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर ही है। वर्तमान में गोदाम संचालकों को एक टन अनाज का प्रति माह का किराया 86 रुपए के हिसाब से सरकार भुगतान करती है।