क्रिकेट के शौकिन थे उस्ताद जाकिर हुसैन, पिता नाराज हुए तो छोड़ दिया इरादा
भारत भवन में परफॉर्मेंस देने आए उस्ताद जाकिर हुसैन

भोपाल। भारत भवन में 'महिमा' कार्यक्रम के तहत प्रस्तुति देने आए जाकिर हुसैन ने पत्रिका प्लस से विशेष बातचीत में अपनी लाइफ जर्नी शेयर की। उन्होंने बचपन का एक किस्सा बताते हुए कहा कि मुझे क्रिकेट का शौक था, लेकिन क्रिकेट खेलते हुए अंगुली में फैक्चर हो गया। पिता को जब ये बात पता चली तो वे भयंकर नाराज हुए। उस दिन से हमेशा के लिए क्रिकेट से मेरा नाता टूट गया। उनसे पूछा गया कि क्या कारण है कि वे 69 साल की उम्र में भी इतने तरोताजा नजर आते हैं। उन्होंने कहा कि दर्शकों से जो प्यार मिलता है वो एनर्जी देता है। यदि थकावट भी हो तो वाह-वाह सुनते ही तरोताजा हो जाता हूं। शायद यही कारण है कि दिल्ली से परफॉर्मेंस देकर सीधे एयरपोर्ट आकर भोपाल आ पाया।
... वो 100 का नोट करोड़ों से ज्यादा कीमती
उन्होंने कहा कि एक बार पिता के साथ प्रेस कोर प्रोग्राम में जाना हुआ था। उसमें उस्ताद अली अकबर खां भी थे। मैंने उसके साथ तबला बजाया। उन्होंने खुश होकर मुझे 100 का नोट दिया। वो नोट चलने से बंद हो चुका है, फिर भी मैंने अभी तक इसे सहेजकर रखा है। वो आज भी मेरे लिए करोड़ों रुपए से ज्यादा कीमती है। मेरी पहली प्रस्तुति और प्रोफेशनल करियर की शुरुआत भी उस्ताद अली अकबर खां के साथ ही हूं।
मां डॉक्टर बनाता चाहती थी
उन्होंने बताया कि मेरी मां चाहती थी कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनंू। आजकल के पेरेन्ट्स बच्चों को रिएलिटी शो विनर, क्रिकेटर और स्टार बनाना चाहते हैं। मैं पेरेन्ट्स से यहीं कहना चाहता हूं कि बच्चों पर अपनी सोच का बोझ न डाले। आज की जनरेशन बहुंत समझदार है, वे जो बनना चाहते हैं, वह बनने का एक बार मौका जरूर दें। पेरेन्ट्स को चाहिए कि बच्चे जो देख रहे हैं, जो सीख रहे हैं, उससे उन्हें रोकें ना। यदि बच्चे खुद अपना करियर चुनेंगे तो वे एक न एक दिन आपका नाम रोशन करेंगे।
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