अभी वन विहार में 33 जलीय कछुए और 18 पहाड़ी कछुए हैं। इसके साथ ही कछुओं की अन्य नस्लों को बढ़ाने के लिए भी वन विहार ने कई जगह पत्राचार किया है। जल्द ही कई तरह के कछुए वन विहार में देखने को मिलेंगे। सीजेडए की अनुमति के बाद ये शुरू हो जाएगा। प्रबंधन के मुताबिक कछुओं के प्रजनन का समय अप्रेल से जून तक रहता है। इसलिए जल्द ही इन्हें शिफ्ट कर सकते हैं।
तस्करों से छुड़ाकर लाए गए 26 और 27 नवंबर 2018 की दरमियानी रात पुलिस और वन विभाग ने सिवनी जिले के नेशनल हाइवे पर दो तस्करों को 6 विदेशी कछुओं के साथ पकड़ा गया था। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) की पड़ताल में सामने आया था कि इन्हें अफ्रीका से बांग्लादेश के रास्ते भारत लाया गया था। कोलकाता से इन्हें सिवनी के रास्ते से मुंबई ले जा रहे थे।
विवाद के बाद आए थे वन विहार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसटीएफ वाइल्ड लाइफ ने साउथ अफ्रीका को ये कछुए वापस ले जाने के लिए पत्राचार किया था। लेकिन वहां से कोई रूचि नहीं दिखाई दी। इसके बाद केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और कस्टम विभाग को पत्र लिखा था। कस्टम विभाग ने कछुओं को लेने से इंकार कर दिया था। तब इन्हें वन विहार में रखने को भेजा था।
कई सालों से ये क्वारेंटाइन सेंटर में हैं। कछुओं की संख्या बढ़ाने और इन्हें नेचुरल एनवायरमेंट देने के लिए ये प्रयास किए जा रहे हैं। इससे पर्यटक भी इन्हें देख सकेंगे। सीजेडए की अनुमति मिलते ही इन्हें शिफ्ट कर दिया जाएगा।
– पद्माप्रिया बालाकृष्णन, डायरेक्टर, वन विहार नेशनल पार्क