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आधा दर्जन जगहों से टूटी हुई है पानी में डूबी जाली, वन विहार से निकलकर शहर में आ सकते हैं वन्य प्राणी

locationभोपालPublished: Nov 27, 2021 12:10:45 am

Submitted by:

praveen malviya

– पत्रिका टीम ने बड़े तालाब के रास्ते लिया वन विहार की सुरक्षा जाली का जायजा
– प्रबंधन ने माना जाली में छेद, नई जाली और सुरक्षा व्यवस्था के लिए भेजा है पांच करोड़ रुपए का प्रस्ताव
– पिछले तीन साल से टूटी हुई है जाली, सबसे बड़ा खतरा वन्य प्राणियों के निकलने का
 

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केस- एक
अक्टूबर माह के आखिरी सप्ताह में कोहेफिजा इलाके में सैफिया कॉलेज के पास एक सांभर को घूमते देखा गया, वन विभाग की क्रेक टीम ने दो दिन तक उसे तलाशने की कोशिश की फिर 31 अक्टूबर की शाम सांभर का रेस्क्यू किया जा सका। सांभर के वन विहार से निकलने की आशंका जताई गई, लेकिन प्रबंधन इंकार करता रहा। आखिर में उसे वन विहार के बाड़े में छोड़ दिया गया।
केस- दो

25 नवम्बर को एक सांभर को वन विहार की जाली के पास से बड़े तालाब में तैरते हुए देखा गया। सेलिंग कोच अनिल शर्मा साथियों की मदद उसे किनारे लाए और फिर इसे भी वन विहार को सौंप दिया गया। जहां जांच के बाद सांभर को बाड़े में छोड़ दिया गया।
प्रवीण मालवीय
भोपाल. पिछले एक महीने में शहर में दो बार सांभर वन विहार राष्ट्रीय उद्यान की सीमा पार करके निकल चुके हैं। दोनों बार जानवरों ने बाहर निकलने के लिए पानी की ओर का रास्ता चुना। दरअसल वन विहार की पानी की ओर की सीमा को सुरक्षित करने वाली जाली पानी में डूबे-डूबे कई जगह से टूट-फूट चुकी है। पत्रिका टीम ने शुक्रवार को बड़े तालाब के रास्ते दो किलोमीटर लम्बी पानी में डूबी जाली का जायजा लिया। पूरे इलाके में जाली आधा दर्जन से अधिक जगहों से टूटी हुई नजर आई, इनमें से ही निकलकर गुरुवार को एक सांभर बाहर आया था। ऐसे में राष्ट्रीय उद्यान एक सीमा टूटी जाली और चौकीदारों के भरोसे हैं जिनकी आंख बचाकर कभी भी वन्य प्राणी यहां से बाहर निकल सकते हैं।
वन विहार सूत्रों का कहना है कि, पिछले तीन सालों में इसकी हालत बेहद खराब हो चुकी है, लेकिन प्रबंधन को पानी के अंदर डूबे खंभों और जाली को सुधरवाने का कोई तरीका नहीं सूझ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि बड़े तालाब की ओर की सीमा को सुरक्षित करने के लिए नई जाली लगाने सहित अन्य उपायों के लिए पांच करोड़ रुपए के काम कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है, लेकिन अभी इस पर स्वीकृति नहीं मिली है।
2005 में लगाई गई थी पानी में दो किलोमीटर लम्बी जाली
2005 में बड़े तालाब का जलस्तर बहुत कम होने पर पानी नीचे उतर गया था। इस समय वन विहार प्रबंधन ने राष्ट्रीय उद्यान का सीमांकन कराया तो पार्क का एक हिस्सा तालाब की ओर निकला था। इसके बाद उतनी जमीन पर दावा करते हुए तात्कालीन प्रबंधन ने सीमेंट की मुनारें लगवाते हुए जाली लगवा दी थी। इसके बाद फिर पानी बढ़ा तो यह जाली पानी में डूब गई, 2008-09 के बाद तालाब में गर्मियों में पानी उतरा है लेकिन पूरी जाली कभी बाहर नहीं आई है।
पहली जाली मेंटेन रहती तो नहीं बनते यह हालात

वन विहार प्रबंधन ने दो किलोमीटर लम्बी नई जाली लगाने के साथ सड़क के ठीक किनारे लगी पुरानी जाली को नहीं हटाया था। लेकिन इसकी नियमित मरम्मत भी नहीं कराई गई। ऐसे में पिछले सालों में सड़क किनारे की जाली टूट फूट गई वहीं धीरे-धीरे पानी में अंदर की ओर लगी जाली भी जर्जर हो गई।
वन विहार की पानी में डूबी सुरक्षा जाली कुछ जगहों से टूटी हुई है। पानी के अंदर होने के चलते वहां सुधार कार्य नहीं करवा पा रहे हैं। इस इलाके को सुरक्षित करने के लिए पूरी नई जाली लगाने सहित अन्य सुरक्षा उपायों के लिए प्रस्ताव भेजा है। सड़क के किनारे वाली जिस जाली को अभी सुधारा जा सकता है, उसे जल्द सुधरवा रहे हैं।
एच सी गुप्ता, डायरेक्टर, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान
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