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मध्यान्ह भोजन में फर्जीवाड़ा रोकने हर दिन का वीडियो, फोटो होंगे अपलोड

locationभोपालPublished: Oct 14, 2019 11:02:24 am

Submitted by:

Ashok gautam

मध्यान्ह भोजन में फर्जीवाड़ा रोकने हर दिन का वीडियो, फोटो होंगे अपलोड- डेढ़ लाख से अधिक स्कूलों में समितियां तैयार कर रही है मध्यान्ह भोजन

 मिड-डे-मील

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भोपाल। मध्यान्ह भोजन के नाम पर स्कूलों में अब समितियां फर्जीवाड़ा नहीं कर पाएंगी। स्कूल के प्रधानाध्यापक को मध्यान्ह भोजन के प्रमाण के रूप में हर दिन का फोटो और वीडियो सरकार को देना होगा।

प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को प्रति दिन तीन बजे तक मध्यान्ह भोजन का वीडियो, फोटो और उपस्थिति रजिस्टर शीट के साथ पोर्टल पर अपलोड करना पड़ेगा। प्रत्येक दिन इसे अपलोड नहीं करने वाले प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

स्कूल में बच्चों के रजिस्टर में उपस्थिति को राशन आवंटन के लिए मान्य नहीं किया जाएगा। प्रत्येक दिन अपलोड की गई फोटो और वीडियो में जितने बच्चे दिखेंगे उतनों के लिए राशन आवंटित होगा। बच्चे अगर स्कूल में उपस्थित हैं और मध्यान्ह भोजन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं तो उनका राशन जारी नहीं किया जाएगा। वीडियो और फोटो में उन्हें यह भी बताना पड़ेगा कि उन्हें मेन्यूू के हिसाब से भोजन दिया जा रहा है अथवा नहीं।

इसके लिए इसकी मानीटरिंग चार स्तर पर की जाएगी, जिसमें जनपद पंचायत, जिला जनपद पंचायत और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और केन्द्र सरकार शामिल है। इसके अलावा मध्यान्ह भोजन तैयार करने वाली समितियों और प्राधानाध्यापकों हर माह बच्चों की उपस्थिति एक्सल शीट में अलग से पंचायत विभाग को भेजनी होगी।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी एक्सल शीट का रेडमली फोटो और वीडियो से हर माह मिलान करेंगे, मिलान में अंतर पाए जाने पर संबंधित स्कूल के प्राधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ब्लाक और जिले स्तर पर गठित होंगे दस्ते

मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता के जांच-पड़ताल के लिए जिला और ब्लाक स्तर पर अलग-अलग दस्ते गठित किए जाएंगे। दस्ते को प्रत्येक माह 10 से 15 स्कूलों का निरीक्षण करना अनिवार्य होगा। निरीक्षण में वो यह देखेंगे कि स्कूलों में हर हफ्ते जो मेन्यूू तय किया गया है उसके अनुसार भोजन दिया जा रहा है अथवा नहीं।

भोजन की गुणवत्ता क्या है, बच्चों को उनकी डाइट के अनुसार भोजन वितरण किया जा रहा है या नहीं। भोजन को लकड़ी-गोबर के ईधन में बनाया जा रहा है अथवा रसोईं गैस में बनाया जा रहा है। बच्चों के हाथ धुलाई, रसोई और बर्तन की साफ सफाई पर भी फोकस किया जाएगा।


जनवरी से पहले किचिन शेड

स्कूलों को किचिन शेड निर्माण के लिए 60 हजार से लेकर डेढ़ करोड़ रुपए तक की राशि जारी की गई है। सभी स्कूलों को जनवरी से पहले किचिन शेड निर्माण के लिए निर्देश दिए गए हैं। किचिन शेड निर्माण के लिए सभी पंचायतों को ड्राइंग और डिजाइन भी उपलब्ध कराई गई है। किचिन शेड स्कूल भवन से अलग बनाने के लिए कहा गया है। जिससे बच्चों को पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत अथवा व्यवधान पैदा न हो।

मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए अध्यापकों को प्रत्येक दिन का वीडियो और फोट पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इसके लिए अलग से एक साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जिसमें सभी स्कूलों को जोड़ा जाएगा। -दिलीप कुमार, संचालक, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
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