वहीं, गाय के नाम पर विधि विरूद्ध इकट्ठी हुई भीड़ में यदि किसी व्यक्ति द्वारा हिंसा की जाती है तो ऐसे व्यक्ति को एक साल से पांच साल तक की सजा और 50,000 रुपए तक के जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया था।
इस विधेयक के अनुसार, यदि अपराधी दोबारा ऐसा अपराध करता है तो उसकी सजा दोगुनी कर दी जानी थी। विधेयक के अनुसार गौरक्षा के नाम पर की गई हिंसा में यदि किसी व्यक्ति को पूर्व में न्यायालय ने दोषी ठहराया है और वह दोबारा गौरक्षा के नाम पर हिंसा का अपराध करता है, तो उसे उस अपराध में प्रावधान के तहत मिलने वाले कारावास की सजा की दोगुनी सजा दी जाना थी। इसके अलावा, इस विधेयक के जरिये मध्य प्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार राज्य में गौवंश परिवहन के नियमों में बदलाव भी करने का भी प्रस्ताव तैयार किया था।
ताकि प्रदेश में गौवंश परिवहन आसान हो सके और स्वयंभू गौरक्षक इनका परिवहन करने वाले किसी व्यक्ति को परेशान न कर सके। इसके लिए इस विधेयक में कहा गया था कि मध्य प्रदेश सरकार गौवंश परिवहन करने वाले व्यक्तियों को गौवंश परिवहन हेतु अभिवहन अनुज्ञा पत्र जारी करेगी। इससे गौवंश के परिवहन में आने वाली कठिनाइयां दूर होंगी।