क्यों रहा इतना इंतजार…
दरअसल विदिशा, भोपाल व इंदौर ये वे सीटें हैं जो पिछले करीब 3 दशकों से भाजपा के कब्जे में हैं। इन सीटों को भाजपा का गढ़ भी माना जाता है। ऐसे में इन सीटों पर अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए जाने के चलते ही लोगों में बैचेनी बनी हुई थी।
वहीं दूसरी ओर गुना जो सिंधिया राजपरिवार का गढ़ माना जाता है, वहां भी अब तक भाजपा की ओर से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किए जाने के चलते सस्पेंस की स्थिति बनी हुई थी।
दरअसल बुधवार को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी 22वीं सूची जारी कर दी है। इस लिस्ट में मध्यप्रदेश के चार उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं।
भोपाल : साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
जानिये कौन हैं ये प्रत्याशी…
1. गुना प्रत्याशी: केपी यादव –
गुना से भाजपा ने केपी यादव को टिकट दिया है। यहां उऩका मुकाबला कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से होगा। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में केपी यादव मुंगावली विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार थे। ये पहली बार हुआ था कि साल 1990 के बाद राव परिवार के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया।
ये कांग्रेस की व सिंधिया राजघराने की खास सीट मानी जाती है। जहां 2014 में मोदी लहर के बीच भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी जीत दर्ज करवाई थी। गुना से अब तक 9 बार कांग्रेस, 4 बार बीजेपी, एक बार जनसंघ, एक बार स्वतंत्र पार्टी चुनाव भले ही जीती हो पर दिलचस्प यह है कि अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में तीन चुनावों को छोड़ दिया जाए तो 13 बार जीत का परचम लहराने वाला कोई सिंधिया ही था। 1999 से यहां कांग्रेस का कब्जा बरकरार है।
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2. विदिशा प्रत्याशी: रमाकांत भार्गव –
विदिशा से मौजूदा सांसद व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कुछ माह पहले अपनी सेहत का हवाला देकर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद इस बार पार्टी की ओर से रमाकांत भार्गव को टिकट दिया गया है।
यहां से चर्चा तो शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह की भी थी, लेकिन आखिर में टिकट रमाकांत को मिला। वैसे रमाकांत को शिवराज सिंह का करीबी माना जाता है।
विदिशा लोकसभा सीट देश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है। ये बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है। यहां से राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी सांसद रह चुके हैं।
सुषमा स्वराज यहां से लगातार दो चुनाव जीत चुकी हैं। 2014 के पहले 2009 के चुनाव में भी उन्होंने यहां पर जीत हासिल की थी। 1991 से ये सीट भाजपा के कब्जे में है।
सागर लोकसभा सीट से भाजपा ने राजबहादुर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जबकि इससे पहले चर्चा थी कि पूर्व मंडी अध्यक्ष और 2008 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले राजेंद्र सिंह को टिकट मिल सकता है। लेकिन टिकट के मामले में राजबहादुर सिंह भारी पड़े।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव धमाकों के बाद सुर्खियों में आई थीं। जिसके बाद उन्हें लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। साल 2017 में सबूतों के अभाव में एनआईए ने अदालत से उन्हें जमानत देने पर एतराज न होने की बात कही, जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया। वो 9 साल जेल में रहने के बाद बाहर आईं।
भाजपा का अभेद गढ़ बन चुके भोपाल लोकसभा क्षेत्र को भेदने के लिए अभी तक कांग्रेस के सभी प्रयास असफल रहे हैं। सन 1984 में यहां से आखिरी बार कांग्रेस जीती थी।
तब कांग्रेस प्रत्याशी केएन प्रधान ने भाजपा के लक्ष्मीनारायण शर्मा को 128664 मतों से पराजित किया था। उसके बाद से कांग्रेस इस सीट पर वापसी का इंतज़ार कर रही है।
भोपाल लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं। वहीं इस बार कांग्रेस की ओर से इस सीट पर वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को उतारा गया है, जबकि भाजपा ने आज ही इस सीट से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बनाा है, ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार का चुनाव अच्छी खासी टक्कर वाला रह सकता है। वहीं इस बार सीट में उलटफेर से भी इनकार नहीं किया जा सकता।