यूपी पुलिस का मोस्टवांटेड विकास दुबे आराम से महाकाल मंदिर में सेल्फी लेता है, सबको बताता है मैं विकास हूं और हम इस बात की शाबासी ले रहे हैं…
शाबासी किस बात की, उसने खुद दे दी गिरफ्तारी!
भोपाल. उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए चुनौती बने विकास दुबे की गिरफ्तारी संदेह के दायरे में है। लोग इसको लेकर सवाल कर रहे हैं कि उसे गिरफ्तार किया गया अथवा उसने सरेंडर किया है! तमाम सवाल हवा में हैं, लेकिन सभी मौन हैं। सिर्फ शाबासी और आरोप-प्रत्यारोप की बात हो रही है।
दरअसल, लोगों के जेहन में सवाल है कि आखिर इतना बड़ा अपराधी उज्जैन पहुंचा कैसे! जिसको खोजने के लिए यूपी पुलिस दिन-रात एक किए हुए थी, वह महाकाल मंदिर में आकर दर्शन के लिए रसीद कटवाता है और फिर सेल्फी लेता है। वह लोगों को आराम से बताता है कि मैं ही कानपुर का विकास दुबे हूं। उसके बाद महाकाल मंदिर के सुरक्षाकर्मी उसे हिरासत में ले लेते हैं। यह तो हुआ वह सीन जो महाकाल मंदिर के सूत्र पिक्चर में ला रहे हैं। एमपी पुलिस भले ही इसे अपनी बड़ी कामयाबी के रूप में दर्शाए, लेकिन सच्चाई यह है कि इसके पीछे जो सवाल खड़े हो रहे हैं, उसका जवाब भी देना होगा।
दरअसल, जो सवाल उठ रहा है, वह यह कि इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था वाले महाकाल मंदिर में आठ पुलिसकर्मियों के हत्या का आरोपी आसानी से घुस जाता है और हमारा सुरक्षातंत्र सोता रहता है। यूपी के मोस्टवांटेड को सरेंडर नहीं करना होता तो वह अपनी जान को खतरा में डालकर आखिर महाकाल क्यों आता। सवाल यह भी कि वह इतनी आसानी से एमपी के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक उज्जैन आता है और उसकी कहीं जांच नहीं होती? अहम यह भी कि वह महाकाल मंदिर में सेल्फी लेते समय खुद को बार-बार विकास दुबे क्यों बताता है?
सूत्रों की मानें तो विकास दुबे दो दिन पहले ही उज्जैन आ चुका था। अगर ऐसा है तो यह इंटेलीजेंस का बड़ा फेल्युअर है। सूत्र यह भी बताते हैं कि एक दिन पहले ही सुरक्षाकर्मियों को विकास दुबे की फोटो सर्कुलेट की गई थी। हालांकि यह जांच का विषय है। दरअसल, ऐसे तमाम सवाल हैं जो इस घटनाक्रम पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
ढाई सौ की परची के पीछे का सच दरअसल, विकास ने सरेंडर की पृष्ठभूमि मजबूत करने के लिए एक सोची समझी रणनीति के तहत 250 रुपए की पर्ची कटाई। उसके बाद खुद की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करवाई ताकि यह प्रमाण के रूप में काम आए।