समाज पर किया कटाक्ष
नाटक में दिखाया गया कि जैसे ही यह खबर चैनपुर के लोगों को पता लगती है, वो घबराहट के मारे चैनपुर में छिपे हुए तिहाड़ जेल से भागे हुए दो चोरों को खुफिया जासूस समझ कर उनकी खातिरदारी में लग जाते हैं। कहानी तब रोमांचक मोड़ लेती है जब चैनपुर में रहने वाले दो लोग मदद की आस से इन खुफिया जासूसों से छिपकर मिलने की कोशिश करते हैं और नकली जासूसों का भेद खुल जाता है। डायरेक्टर ने बताया कि यह नाटक एक प्रक्रिया के अंतर्गत तैयार हुआ है। कई दृष्यों को हमने आशुरचना कर तैयार किया है, जैसे नाटक की शुरुआत में जहां सूत्रधार पात्रों का परिचय करवाता है, इस दृष्य में स्क्रिफ्ट के अनुसार सूत्रधार और पात्रों के बीच काफी संवाद होते हैं। नाटक के सेट को हमने चलायमान बनाया है जिससे अलग-अलग दृष्य बनाए जा सकें। नाटक के माध्यम से ये दिखाया गया है कि ऐसे ही लोग हमारे समाज में भी पाए जाते हैं जो कि पूरे समाज को भीतर से खोखला करते जा रहे हैं। यह नाटक एक सामाजिक और राजनैतिक व्यंग है।