जानकारी के अनुसार इसके द्वारा MP के सात हजार से ज्यादा गांवों को मुख्यधारा में लाने के लिए पक्की (डामरीकृत) सड़क से जोड़ा जाएगा। जिसमें सवा तीन हजार करोड़ रुपए की लागत से दस हजार किलोमीटर लंबाई की सड़क बनाई जाएगी। इसी के चलते एजेंसी चुनने के लिए सड़क विकास प्राधिकरण ने निविदा भी बुला ली हैं।
सामने आ रही जानकारी के अनुसार सड़क बनाने के लिए सवा दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज भी विश्व बैंक और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक से लिया जा रहा है। वहीं सरकार अपनी ओर से लगभग एक हजार करोड़ रुपए लगाएगी।
कम आबादी वाले गांवों को जोड़ा जाएगा…
जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 500 से कम आबादी वाले गांवों को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे गांवों को सड़क मार्ग से जोड़कर मुख्यधारा में लाने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से ग्रेवल सड़क (मुरम, गिट्टी वाली) बनाई गई थीं। इन्हें अब डामर वाली सड़कों में तब्दील करने की योजना बनाई है।
इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 4 हजार 870 गांवों की 14 लाख 80 हजार आबादी को फायदा पहुंचाने के लिए करीब 10 हजार किलोमीटर सड़क का डामरीकरण होगा। साथ ही करीब सवा चार हजार नए मार्ग भी बनाए जाएंगे।
किस्तों में मिलेगी रकम…
इस काम को अंजाम देने के लिए विभाग ने विश्व बैंक से 1 हजार 365 करोड़, एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक से 910 करोड़ रुपए बतौर कर्ज लेने का फैसला किया है। कर्ज की मंजूरी भी हो चुकी है। किस्तों में यह रकम मिलेगी।
इसके अलावा लगभग एक हजार करोड़ रुपए सरकार खजाने से लगाएगी। सड़क विकास प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार विजन 2018 में पक्की डामरीकृत सड़क से गांवों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसे पूरा करने के लिए रोडमैप तैयार किया गया है।
कुछ सड़कों के लिए निविदा भी आमंत्रित कर ली हैं। अगले पांच साल में प्रदेश में आंतरिक सड़कों का जाल बुन जाएगा और यह प्रदेश के आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
वहीं जानकारों का कहना है पैट्रोल में सेस सड़कों के लिए लिया गया था, ऐसे लगता है सरकार उसी पैसे को सड़क निर्माण में लगा रही है। जो कि हर किसी के लिए फायदेमंद होगा।