इसमें कोलार के स्लम एरिया से लेकर गेहूंखेड़ा, बैरागढ़ चिचली का क्षेत्र शािमल है। इसके साथ ही भदभदा, नेहरू नगर के साथ बाणगंगा का बड़ा क्षेत्र है। बैरागढ़ में 20 से अधिक क्षेत्र में टैंकरों की खराबी लोगों पर भारी पड़ रही है। रोजाना जलापूर्ति में निगम अपने 250 टैंकर ही चला पा रहा है, जबकि 650 से अधिक टैंकर है। ऐसे में स्थिति ये हैं कि जहां चार टैंकर पानी की मांग है वहां एक ही पहुंच पा रहा है।
दरअसल नगर निगम की वर्कशॉप में वाहन सुधार की गति बेहद धीमी हो गई है। बताया जा रहा है कि एक बार वाहन वर्कशॉप में पहुंचने के बाद बाहर निकलने में एक सप्ताह से दस दिन का समय लग जाता है। इस मामले में रविवार को अपर आयुक्त मयंक वर्मा ने अपने जलकार्य विभाग के इंजीनियरों से बैठक कर उनकी मांग और समस्याएं सुनी। सोमवार को वर्कशॉप प्रबंधन को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि वे जलकार्य के वाहनों को प्राथमिकता में सुधारे ताकि लोगों को जलापूर्ति बेहतर की जा सके।
गौरतलब है कि निगम के करीब 600 टैंकर दिनभर में 4000 से अधिक ट्रीप लगा सकते हैं। एक टैंकर पूरे दिन में छह से अधिक ट्रीप लगाता है। गाडिय़ां खराब होगी तो ट्रीप की संख्या घटेगी। हाइड्रेंट में पानी होने के बावजूद जलापूर्ति नहीं हो पाएगी। वर्कशॉप के नवागत इंचार्ज अक्षतसिंह बंदेला अभी काम समझ ही रहे हैं, ऐसे में दिक्कत अधिक है। अपर आयुक्त मयंक वर्मा का कहना है कि वर्कशॉप को गाडिय़ां जल्द दुरूस्त करने का कह दिया है। टैंकर से जलापूर्ति की दिक्कत जल्द ही दूर कर दी जाएगी।