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अब दो नहीं पांच साल काम करेंगी जल उपभोक्ता समितियां

locationभोपालPublished: Nov 09, 2019 12:44:22 am

Submitted by:

anil chaudhary

सरकार ने बदल दी चुनाव की प्रक्रिया

drinking water crisic in RU JAIPUR

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भोपाल. प्रदेश की जल उपभोक्ता समितियों के चुनाव अब दो के बजाय पांच साल में कराए जाएंगे। इससे इन समितियों को काम करने के लिए तीन साल और मिलेंगे। अभी इनकी शिकायत रहती थी कि दो साल के कम समय में वे ज्यादा काम नहीं कर पाती हैं। सरकार ने नई व्यवस्था लागू कर दी है। इसके तहत अब पांच साल में चुनाव होंगे। राज्यसभा चुनाव की तर्ज पर पिछली भाजपा सरकार ने दो-दो साल में चुनाव का फॉर्मूला लागू किया था।
प्रदेश की जल उपभोक्ता समितियों के चुनाव पिछले आठ महीने से लंबित थे। जनवरी-फरवरी में इसके चुनाव होना था, लेकिन तब सरकार ने इन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद अब चुनाव की व्यवस्था को ही बदल दिया गया है। मंत्रालय में शुक्रवार को सीनियर सेकेट्रिएट की बैठक में इसका प्रस्ताव रखा गया था। मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।


– क्या हैं जल उपभोक्ता समिति
प्रदेश में पानी के उपयोग, प्रबंधन और प्लानिंग के लिए जल उपभोक्ता समितियां बनाई हंै। इनके जिम्मे पानी के संचालन से लेकर जल संबंधी तमाम मुद्दों के निर्धारण के अधिकार हैं। समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही जल परियोजनाएं मंजूर की जाती हैं। तहसील स्तर पर इनकी रिपोर्ट सरकारी जल परियोजनाओं के लिए आधार होती हैं, इसलिए इन जल उपभोक्ता समिति के चुनाव होते हैं, जिनमें निर्वाचन के जरिए अध्यक्ष सहित पूरी कार्यकारिणी तय होती है।

– ये काम जल समितियों के
नहरों से पानी देने की मात्रा निर्धारण में मदद
नहरों से पानी देने की कहां जरूरत, कहां नहीं
सिंचाई की कहां जरूरत, कहां जरूरत नहीं
जल स्त्रोत बनाने की जरूरत कहां-कहां
जल परियोजनाओं की जरूरत किन इलाकों में
जल परियोजना की मॉनिटरिंग व निगरानी
जल संबंधित समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना
जल संरचनाओं का संरक्षण करना, प्लान देना
जल संरचनाओं के लिए वैकल्पिक इंतजाम में सहायता
जल संरचनाओं के लिए प्लानिंग में सहायता करना
पेयजल उपलब्धता की स्थिति, डिमांड संबंधित काम

– गाद-रेत बेचकर 1000 करोड़ कमाएगी सरकार
सरकार ने बाणसागर, इंदिरा सागर, तवा और बरगी बांध में भरी गाद व उसमें मिली रेत को बेचकर 1000 करोड़ रुपए कमाने की भी तैयारी की है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब बांध की गहराई बढ़ाने के लिए राज्य सरकार पैसा देने की बजाए उलट ठेकेदार से पैसा लेने का टेंडर जारी करने जा रही है। नर्मदा विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी और मुख्य सचिव ने शुक्रवार को टेंडर की शर्तों को लेकर चर्चा की। इन चारों बांधों में 1300 एमसीएम गाद भर गई है। गाद और रेत बेचने से सरकार को राजस्व मिलेगा। हाल ही में सरकार ने कैबिनेट में इसके लिए अलग से नीति मंजूर की थी। उसी नीति के तहत अब टेंडर जारी करने की मंजूरी दे दी गई है।

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