भोपाल. भोपाल रेलवे स्टेशन पर स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाकर इसे 10 लाख लीटर प्रतिदिन तक पहुंचाया गया है। स्टेशन से प्रतिदिन पचास से ज्यादा रेल गाडिय़ां गुजरती हैं। इस प्रकार रेलगाडिय़ों के पब्लिक टॉयलेट, प्लेटफॉर्म व दूसरे माध्यम से स्टेशन के अंदर आ रहे गंदे पानी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में लाकर इक_ा किया जाता है। वैज्ञानिक पद्धति से पानी का निस्तारण करने के बाद इसे उपयोग के लायक बनाया जाता है।
10 लाख लीटर पानी रोज साफ करने के बाद रेलवे इसका इस्तेमाल प्लेटफॉर्म को साफ रखने और ट्रेन के डिब्बों को धोने लिए कर रहा है। रेलवे का दावा है कि ऐसा करने से प्रतिदिन 5 लाख लीटर शुद्ध पेयजल की बचत की जा रही है। यात्रियों में जागरुकता की कमी: भोपाल रेल मंडल के संचालित होने वाली रेलगाडिय़ों में एक लाख से ज्यादा यात्री प्रतिदिन भोपाल और आसपास के स्टेशन से आवाजाही करते हैं।
कोरोना गाइडलाइन समाप्त होने के बाद अभी तक के आंकड़ों के हिसाब से रेलवे साफ-सफाई पर प्रतिमाह लाखों रुपए खर्च कर रहा है। ट्रेन के अंदर गुटखा खाकर थूकने, पब्लिक टॉयलेट के बाहर गंदा कचरा फेंकने व प्लेटफॉर्म पर लगे वॉशबेसिन में सुपारी खाकर थूकने के मामले सर्वाधिक सामने आ रहे हैं। रेलवे को साफ-सफाई रखने के लिए प्रतिदिन फिनाइल, पानी, एसिड और दूसरे केमिकल का इस्तेमाल करना पड़ता है जिस पर भारी खर्च होता है। रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि संक्रमण गाइडलाइन के अनुसार यदि व्यवहार किया जाए तो परिसर को प्रतिदिन साफ रखा जा सकता है और इस पर होने वाले खर्च और मेहनत को आधा किया जा सकता है।
हम सफाई व्यवस्था अच्छी रखने के साथ ही यात्रियों से भी अपील कर रहे हैं कि वे प्लेटफॉर्म व ट्रेन के अंदर वैसी ही सफाई रखें जैसी घर में रखते हैं। इससे रेलवे को मदद मिलेगी।
सौरभ बंदोपध्याय, डीआरएम
सौरभ बंदोपध्याय, डीआरएम