उल्लेखनीयहै कि 73 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले शाहपुरा तालाब का स्वरूप सिमटकर काफी कम हो गया था। अतिक्रमण व निर्माण के चलते करीब 15-20 हेक्टेयर एरिया खत्म हो चुका था। कचरा और गाद जमा होने से तालाब का स्वरूप ही खत्म होता जा रहा था। इस तालाब की क्लीनिंग, ब्यूटीफिकेशन व कंजर्वेशन के लिए एनजीटी के तत्कालीन जस्टिस दलीप सिंह ने आदेश दिया था।
इस कार्य में 34 करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे, लेकिन लंबे समय तक कोई काम ही नहीं हुआ। सितम्बर 2017 में मप्र कयाकिंग-केनोइंग संघ ने यहां वाटर स्पोट्र्स शुरू करने की कवायद शुरू की। इसके लिए मप्र कयाकिंग-केनोइंग संघ ने एक दर्जन बोट भी खरीद ली थीं। इनमें चार सी-1, चार के-1, चार के-2 व के-2 शामिल हैं। लाखों रुपए कीमत की ये बोट तालाब तैयार न होने के कारण धूल फांक रही थीं। इस वर्ष भी फरवरी-मार्च में ये वाटर स्पोट्र्स शुरू करवाने की कोशिश हुई, लेकिन तालाब की वाटर क्वालिटी, सफाई व गहराई उपयुक्त नहीं होने के कारण कयाकिंग-केनोइंग शुरू नहीं कराई जा सकी थी।
अब तालाब की स्थिति ठीक बताई जा रही है और जल्द ही वाटर स्पोट्र्स शुरू किए जा सकते हैं। मप्र कयाकिंग-केनोइंग संघ के अधिकारियों का कहना है कि 16 जनवरी तक नेशनल चैम्पियनशिप चल रही है। उसके बाद यहां कयाकिंग-केनोइंग शुरू कराई जाएगी। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 20 जनवरी 2020 से यहां कयाकिंग-केनोइंग का प्रशिक्षण शुरू कराने की तैयारी है। जैकेट्स आदि मिलाकर लगभग 20 लाख रुपए से अधिक का सामान धूल फांक रहा था, जो अब उपयोग में आ सकेगा। एक्सपर्ट बताते हैं कि शाहपुरा तालाब बोटिंग के लिए इतना उपयुक्त है कि यहां वर्षभर हर सीजन में बोटिंग की जा सकती है।
इतने का है सामान
– 4 विदेशी कार्बन बोट : 6 लाख रुपए
– 8 इंडियन बोट : 2.5 लाख रुपए
– जेटी (बोट लांचिंग प्लेटफार्म): 6 लाख रुपए
– 12 बोट्स के चप्पू : 4.20 लाख रुपए
शाहपुरा तालाब में कयाकिंग-केनोइंग का प्रशिक्षण काफी समय से प्रस्तावित था, लेकिन तालाब तैयार नहीं होने के कारण देरी हो गई। इस समय नेशनल चैम्पियनशिप चल रही है। इसके बाद कयाकिंग-केनोइंग का प्रशिक्षण शुरू कराया जाएगा।
– मयंक ठाकुर, चीफ कोच, मप्र कयाकिंग एंड केनोइंग