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वन्यजीवों से टकराव होने पर बचने के सिखा रहे तरीके

locationभोपालPublished: Oct 26, 2018 07:47:08 pm

Submitted by:

Rohit verma

वन और वन्यजीवों से ही बचा है मानव का अस्तित्व, ये नहीं तो हम भी नहीं

jungal safari

वन्यजीवों से टकराव होने पर बचने के सिखा रहे तरीके

भोपाल से दिनेश भदौरिया की रिपोर्ट. वन और वन्यजीवों से ही मानव का असितित्व बचा हुआ है। ये खत्म हो जाएंगे तो धरती पर मनुष्य का बचना असंभव हो जाएगा। इसलिए शहर से सटे ग्रामीण अंचल में जागरूक लोग टाइगर ही नहीं, समूचे वन और वन्यजीवन को बचाने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं।

इस विशेष अभियान में ग्रामीण आपसी सहयोग से बच्चों को वन, वन्यजीव के साथ जल संरक्षण के तरीके भी बता रहे हैं। इससे बच्चे भी उत्साहित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस देश की सभ्यता वन व वन्यजीवों के साथ विकसित हुई है।

मानव और वन्यजीव प्रकृति में साथ-साथ रहते आए हैं। इस प्रशिक्षण का मुख्य लक्ष्य वन्यजीव-मानव द्वंद्व को बचाते हुए जल, जंगल, जीव को संरक्षित करना है। उनका मानना है कि यदि अभी से बच्चों को वन और वन्यजीवों तथा उनके महत्व के बारे में बताया जाएगा तो बड़े होकर वे इनके संरक्षण में अहम भूमिका निभाएंगे। साथ ही जब वे वन्यजीवों के बारे में ज्यादा जानकारियां हासिल कर लेंगे तो टकराव की आशंका भी बहुत कम हो जाएगी।

मेंडोरा गांव में वन समिति अध्यक्ष सुरेश सिंह तोमर ने साथियों के साथ जल, जंगल, जीव बचाने के अभियान के बारे में सोचा और जमीनी स्तर पर मेंडोरा, मेंडोरी, शारदा विहार गांवों के बच्चों को लेकर काम शुरू किया।

 

शक होने पर दें सूचना
शिकारियों और संदिग्ध लोगों पर नजर रखने में बच्चे बहुत अहम साबित होते हैं। वनाधिकारी और ग्रामीण इस बात को मानते हैं। बच्चों का मूवमेंट अधिक रहता है और संदिग्ध तत्व उनकी नजर में जल्द आते हैं। बच्चों को यह सिखाया जा रहा है कि गांव व आसपास जंगल क्षेत्र में जहां भी कोई संदिग्ध व्यक्ति या शिकारी नजर आए तो वे ऐसे एक्ट करें कि उन्हें देखा ही नहीं और इसकी सूचना तुरंत दें।

फलों का रहता है आकर्षण
शहर से सटे जंगल में बच्चों के लिए जंगली फल ही बड़ा आकर्षण होते हैं। जंगल में चिरौंजी, महुआ, करौंदा, मकोई आदि फल समरधा फॉरेस्ट रेंज में बहुतायत में पाए जाते हैं। कई गांवों के बच्चे मौका पाकर इन फलों के लिए जंगल में चले जाते हैं। जब बच्चे बिना किसी बड़े व्यक्ति को साथ लिए जंगल में प्रवेश करते हैं, उस समय उन्हें खतरा रहता है। इसलिए बच्चों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि वे जंगल में बड़े लोगों के साथ बिना प्रवेश न करें।

 

चौपाल में भी बच्चों को देते हैं सीख
गांवों में चौपाल लगाकर बच्चों को प्रशिक्षण देने के अलावा वयस्क व्यक्तियों को भी आवश्यक जानकारी दी जा रही है। खासतौर पर ग्रामीण महिलाओं को जंगल में प्रवेश करने के बारे में बताया जाता है, ताकि वे अपने बच्चों को घर में इसके बारे में ढंग से बता सकें। जंगल में लकड़ी या चारा लेने अधिकांशत: महिलाएं ही जाती हैं।

सामना होने पर ये करें
जंगल में अकेले न जाएं, बड़ों के साथ ग्रुप में जाएं।
सुबह के समय जंगल में न जाएं, उस वक्त वन्यजीव भ्रमण करते हैं।
टाइगर सामने हो तो घबरा कर भागें नहीं।
अकेले हों तो बात करते रहें और धीरे-धीरे वहां से हटें।
आसपास कोई पेड़ हो तो उसका सहारा लें।

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