व्यवहार से जोड़े जेब खर्च
बच्चों के जेब खर्च को हमेशा उनके अच्छे या बुरे व्यवहार से जोड़ें। अगर वह अच्छा व्यवहार करते हैं, बड़ों का कहा मानते हैं तो धीरे-धीरे उनका जेब खर्च बढ़ाएं। अनुशासनहीनता पर उनका जेब खर्च काटते जाएं। यह भी याद रखें कि जेब खर्च की शुरुआत हमेशा कम पैसों से करें लेकिन जो भी तय करें, दें एक साथ। इसके बाद इसमें कमी या बढ़ोतरी होने पर उन्हें पैसे की अहमियत पता चलेगी।
उन्हें पे करने दें
गिफ्ट्स और रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के अलावा उन्हें हर उस चीज के लिए पे करने दें, जो वे चाहते हैं। अपने हाथ के पैसे खर्च होने और जमा राशि कम होते देखने में जो दर्द होता है, उसे उन्हें महसूस करने दें। आप हर वक्त उनकी बिना बात की जरूरत पूरी करते रहेंगे तो उन्हें पता ही नहीं चलेगा कि पैसा कितनी मेहनत से कमाया जाता है और उसे जाते देखने पर कैसा लगता है।
उनके लिए बैंक अकाउंट खोलें
अपने किशोर होते बच्चों के लिए एक बैंक अकाउंट जरूर खोलें और उन्हें उसे मॉनिटर और मेंटेन करना सिखाएं। बहुत से बच्चों को लगता है कि पैसे किसी जादुई कुएं से आते हैं। इसलिए पैसों के लिए किसी भी तरह की चिंता की जरूरत नहीं है लेकिन अकाउंट खोलने पर उसे मैनेज करने से उन्हें भी बड़ों की तरह चिंता होने लगती है, जो उन्हें होना जरूरी है।
उन्हें एक क्रेडिट कार्ड जरूर दें
आप अपने टीनेज बच्चे को लो लिमिट वीजा या मास्टर कार्ड या फिर किसी डिपार्टमेंटल स्टोर का कार्ड दें, जिसके लिए उन्हें ही 100 फीसदी जिम्मेदार बनाएं। कुछ लोगों को लगता है कि टीनेज को क्रेडिट कार्ड देने से वह अनाप-शनाप खर्चा करेंगे लेकिन यकीन मानिए यह उनमें वित्तीय समझ पैदा करने का बहुत अच्छा तरीका है। क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करते वक्त आप उनके साथ मौजूद नहीं होंगे, इसलिए वे जानेंगे कि क्या जरूरी है और क्या नहीं। दूसरे, इसके जरिए आप उनकी खरीदारी मॉनिटर भी कर सकेंगे।
बजट बनवाएं
कई पेरेंट्स को लगता है कि बजट बनाना एक ऐसी स्किल है, जो धीरे-धीरे अपने आप आ ही जाती है क्योंकि जिंदगी में कभी न कभी तो किसी न किसी को बजट बनाने की जरूरत पड़ती है लेकिन आप बच्चों के मामले में ऐसा न सोचें। उन्हें एक अच्छा बजट बनाने और उस पर हर हाल में कायम रहने में मदद करें। अक्सर जो लोग बजट नहीं बनाते, वे जरूरत से ज्यादा पैसा खर्च कर डालते हैं। धीरे-धीरे यह उनकी आदत में शुमार हो जाता है और उनके पास पैसों की कमी बनी ही रहती है। आपके बच्चों के साथ बड़े होने पर ऐसा न हो, इसलिए उनकी पैसे संबंधी हिसाब-किताब की आदत अभी डाल दें। उन्हें पता चलेगा कि उनके पास कितना है और कितना खर्च करना है। वे बचत करना भी सीख जाएंगे।