वादा था रोस्टर के अनुसार नियमितीकरण का, मांग हो रही सीधे नियमित करने की
कांग्रेस ने अपने चुनावी वचन पत्र के बिंदु क्रमांक 17.22 में वादा किया था कि ‘अतिथि विद्वानों को रोस्टर के अनुसार नियमित करने की नीति बनाएंगे। पीएससी में चयन न होने की स्थिति में उनको निकाला नहीं जाएगा।’ इस मामले में शिक्षाविदों का कहना है कि अतिथि विद्वानों को रोस्टर के अनुसार नियमित करने की नीति बनाने की बात कही गई है ना कि उन्हें सीधे नियमित करने की बात कही गई है। अतिथि विद्वान इस बिंदु की गलत तरीके से व्याख्या करते हुए सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं यूजीसी के निर्देशों के तहत भी यह स्पष्ट है कि किसी भी स्थिति कुल स्वीकृत पद के केवल 20 प्रतिशत ही अतिथि विद्वान रखे जा सकते हैं, इससे अधिक नहीं है।
जो वादा किया उसे निभाने के लिए बनाई कमेटी
वर्तमान में जो अतिथि विद्वान सेवा शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत हैं उन्हें हटाया नहीं जाएगा। कांग्रेस ने वचन पत्र में हमने जो वादा किया है उसे पूरा करने के लिए एक उच्च शिक्षा विभाग की ओर से एक कमेटी बनाई गई है जो रोस्टर के अनुसार अतिथि विद्वानों को नियमित करने की नीति बनाने का काम करेगी।
– जीतू पटवारी, उच्च शिक्षा मंत्री, मप्र
जो आश्वासन दिए उसे वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए
कांग्रेस सरकार की वचनपत्र के प्रति उदासीनता से अतिथि विद्वानों में रोष है इस प्रदर्शन से हम सरकार को उसके वचन की याद दिला रहे हैं। सरकार जब तक हमारी नियमितीकरण की मांग को पूरा नहीं करती है तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा। उच्च शिक्षा मंत्री ने जो आश्वासन दिए हैं उसे विभागीय वेबसाइट में प्रकाशित किया जाए तब ही यह प्रदर्शन समाप्त होगा।
– डॉ. देवराज सिंह, संयोजक, अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा
अनर्गल आरोप न लगाकर केवल अपनी मांग रखें अतिथि विद्वान
कांग्रेस अपने वचन पत्र के बिन्दु क्रमांक 17.22 में वर्णित अतिथि विद्वानों के लिए रोस्टर के अनुसार नियमितीकरण की नीति बनाती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं लेकिन अतिथि विद्वानों द्वारा पीएससी जैसी संवैधानिक संस्था पर बेबुनियाद आरोप लगाकर सरकार पर दबाव बनाना गलत है। अतिथि विद्वान किसी पर भी अनर्गल आरोप न लगाकर सरकार से केवल अपनी मांग रखें।
– डॉ. प्रकाश खातरकर, प्रदेश अध्यक्ष, मप्र पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक संघ