इन कार्यक्रमों में कई स्थानों को चुना गया, इनमें इन्द्रा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, डब्लूडब्लूएफ परिसर, वीएनएस इंस्टीटूशन परिसर आदि प्रमुख हैं। इन क्षेत्रों में कुल 100 प्रतिभागियों ने पक्षी गणना में भाग लिया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने लगभग 60 प्रजातियों को चिन्हित कर उनकी गणना की।
वेरिडिटेर फ्लाईकैचर
चमकीले नीले रंग का सुन्दर पक्षी होता है। इसकी आंख पर काला निशान पाया जाता है। यह कीट भक्षी पक्षी होता है। यह मिश्रित एवं घने वनों में पाया जाता है। यह पक्षी हिमालय एवं दक्षिण एशिया से प्रवास कर भारत आते हैं।
पर्पल सनबर्ड
यह चमकीले बैगनी रंग का पक्षी होता है। इसकी चोंच लम्बी और आगे से मुड़ी हुई होती है। यह फूलों का रस चूसते हैं। इनको हिंदी में शक्रखोरा भी कहा जाता है। यह उद्यान, वनों, घरों के बगीचों में भी दिखाई देते हैं।
कॉयन आयोरा
यह पक्षी सुनहरे पीले रंग का पक्षी होता है। इनको हिंदी में शोभिगी भी कहा जाता है। यह बहुत ही मधुर आवाज में बोलते हैं। यह उद्यान, वनों, घरों के बगीचों में भी दिखाई देते हैं।
इंडियन रोबिन
यह आस-पास पाए जाने वाले पक्षियों में एक है। काला व भूरे रंग का शरीर होता है। पूंछ ऊपर की ओर उठी होती है। हिंदी में कलचुरी कहा जाता है।
कॉपर स्मिथ बारवेट
इस पक्षी के शरीर का रंग हरा होता है। यह आकर में छोटा होता है। इसके माथे पर लाल टीका होता है। हिंदी नाम ठठेरा बसंथा है। यह बसंत के समय टूक-टूक की आवाज करते हैं।
इंडियन कोयल आदि पक्षी दिखे
गणना के दौरान चिन्हित पक्षियों में ब्लैक ड्रोंगो, इंडियन कोयल, रेड वेंटेड बुलबुल, इंडियन रोलर, लार्ज कोर्मोरेंट, लिटिल कोर्मोरेंट, रोज रिंग पैराकीट, असहय परिनिआ, आयोरा, रूफस ट्री पाई, पर्पल सनबर्ड, ग्रे हार्नबिल, ब्लैक रेड स्टार्ट, बूटेड वार्बलर, येलो थ्रोटेड स्पैरो, कॉमन मैना, पाईड मैना, वाइट ऑय आदि प्रमुख हैं।
देखे गए प्रमुख प्रवासी पक्षी
ब्लैक रेड स्टार्ट : यूरोप, इंग्लैंड, आयरलैंड से प्रवास कर भारत आते हैं।
रेड ब्रेस्टेड फ्लाईकैचर : यूरोप से प्रवास कर भारत आते हैं।
बूटेड वार्बलर: रूस, चीन, अफगानिस्तान से प्रवास कर भारत आते हैं।
वेरिडिटेर फ्लाईकैचर: हिमालय, दक्षिण एशिया से प्रवास कर भारत आते हैं।