बुधवार को दिन भर जहां मौसम खुला रहा था, वहीं देर रात बादलों ने अपना काम शुरू कर दिया, रात भर रुक-रुक बौछारें पड़ती रही। इसके बाद सुबह कुछ देर के लिए सूरज ने दर्शन दिए तो धूप चढऩे के पहले ही फिर बादल छा गए और बौछारें पडऩी शुरू हो गई। दोपहर में भी कुछ देर आसमान खुलने के अलावा बाकी समय बादल ही छाए रहे। इस तरह दिन भर रुक-रुककर बौछारें पडऩे के बाद 11 मिमी.8 मिमी बरसात दर्ज की गई। 2006 के बाद सबसे ज्यादा मौसम विभाग के रिकार्ड के अनुसार मार्च में मार्च में हल्की बौछारें तो पड़ती है, लेकिन इस तरह मानसून के मौसम सा माहौल नहीं बनता इससे पहले मार्च 2006 में इस तरह बरसात हुई थी। तब 10 मार्च को 24 घंटे में 44.7 मिमी पानी गिरा था। मार्च महीने में सबसे ज्यादा बरसात का रिकार्ड भी 2006 के नाम ही दर्ज है जब पूरे महीने में 108.8 मिमी बरसात हुई थी। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 2006 के बाद पिछले 13 सालों में मार्च में ऐसी बरसात का कोई वाक्या नजर नहीं आया। न्यूनतम तापमान 18.4 तो अधिकतम तापमान 22.4 डिग्री दर्ज किया गया।
तीन कारकों से बना ऐसा मौसम मौसम विशेषज्ञ अजय शुक्ला बताते हैं, बंगाल की खाड़ी से नमी आ ही रही थी, इसमें अरब सागर से आने वाली नमी भी जुड़ गई है जिसके चलते ज्यादा नमी प्रदेश की ओर आ रही है। इसके साथ-साथ दक्षिणी गुजरात से लेकर कर्नाटक तक द्रोणिका बनी हुई है। इसमें कश्मीर के पास बने पश्चिमी विक्षोभ का असर भी जुड़ रहा है जिसके चलते पूरे प्रदेश में बरसात हो रही है, वहीं इसका प्रभाव पश्चिमी मप्र में ज्यादा है जिसके चलते इस इलाके में आने वाले भोपाल में ऐसा मौसम बन रहा है।
दो पश्चिमी विक्षोभ मौजूद मौसम विशेषज्ञ एसके नायक बताते हैं, इस समय औसत समुद्र तल से से 9.5 किलोमीटर स्थित चक्रवाती संचरण के रुप में पश्चिमी विक्षोभ पाकिस्तान एवं सटे हुये पूर्व अफगानिस्तान पर स्थित है। इस विक्षोभ से प्रेरित चक्रवाती संचरण अब मध्य पाकिस्तान एवं आसपास के क्षेत्रो पर बना हुआ है। जम्मू कश्मीर एवं सटे पाकिस्तान पर स्थित, औसत समुद्र तल से ऊपर 1.5 – 3.1 किमी के बीच स्थित दूसरा पश्चिमी विक्षोभ पूर्वोत्तर की ओर चला गया है। 30 मार्च से एक नये पश्चिमी विच्छोभ द्वारा पश्चिमी हिमालय क्षेत्र को प्रभावित करने की संभावना है।