मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसून का जून में समय से पहले आगमन हुआ और दो सप्ताहों में बारिश भी अच्छी हुई। लेकिन जुलाई लगभग सूखा बीत गया। अगस्त में बारिश सामान्य रही वहीं जिस सितम्बर माह में बारिश सामान्य रहती हुई विदा होती है, उस मानसून विदाई के महीने में जोरदार
बारिश हुई। सबसे ज्यादा सिस्टम आखिरी महीने सितम्बर मेंमौसम विभाग सितम्बर में जाते-जाते मानसून ने अच्छे तेवर दिखाए और औसत को संभाल लिया। इस महीने पांच सिस्टम बने जिनसे अच्छी बारिश मिली। समग्र रूप में देखे पूरे चार महीने का मानसून सामान्य नजर आता है, लेकिन वितरण में गड़बड़ी से साफ दिखता है कि न केवल मानसून का पैटर्न बदल रहा है बल्कि वितरण भी गड़बड़ी हुई। वहीं मौसम विभाग का महीनेवार अनुमान के मामले में सटीक नहीं रहा।
ग्वालियर-चम्बल की बाढ़ ने आंकड़ों को पहुंचाया सामान्य इस बार पूर्वी मप्र में वर्षा का वितरण कम है, जबकि पश्चिमी मप्र में सामान्य से ऊपर रहा है। खास बात यह रही कि ग्वालियर-चम्बल संभाग में अगस्त महीने में लगातार हुई भारी बारिश और बाढ़ ने बारिश का आंकड़ा बढ़ा दिया। इसी के चलते पूरे पश्चिमी मप्र में बारिश सामान्य से ऊपर चली गई वहीं प्रदेश में बारिश का आंकड़ा भी सामान्य हो गया।
महीना- प्रदेश में बारिश- सामान्य से अंतर जून- 167.3 मिमी- 30 फीसदी अधिकजुलाई- 281.6 मिमी- चार फीसदी कम अगस्त- 252.9- सात फीसदी कमसितम्बर- 243.3- सामान्य