मध्यप्रदेश के बांध | अभी | बीते वर्ष |
गांधीसागर, मंदसौर | 64% | 46% |
अटलसागर, शिवपुरी | 52% | 12% |
बाणसागर, शहडोल | 48% | 39% |
राजघाट, अशोेक नगर | 45% | 03% |
बरना, रायसेन | 36% | 41% |
बरगी, जबलपुर | 35% | 41% |
कोलार डैम, भोपाल | 30% | 35% |
इंदिरा सागर, खंडवा | 15% | 15% |
तवा, नर्मदापुरम | 08% | 07% |
संजय सरोवर, सिवनी | 05% | 11% |
ओंकारेश्वर, खंडवा | 03% | 16% |
बांधों का पानी गर्मी में तीन कारणों से कम होता है। एक सिंचाई या बिजली बनाने से, दूसरा वाष्पीकरण से और तीसरा भूजल की क्षतिपूर्ति से। समुद्र से दूर मौजूद बांधों का सबसे अधिक पानी वाष्पीकरण में जाता है क्योंकि वहां हवा में नमी नहीं होती है और पानी तेजी से उड़ता है। ऐसे ही जिन बांधों के पास में भूजल स्तर अच्छा है, वहां लोग सिंचाई करते हैं । इससे जमीन में जो कमी आती है, उसकी क्षतिपूर्ति बांधों के पानी से ही होती है। यह प्रक्रिया धरती-पाताल के बीच में चलती रहती है। इस बार के आंकड़े बता रहे हैं कि पानी की अच्छी उपलब्धता है। अभी मानसून आने को है और सिंचाई की आवश्यकता सितंबर-अक्टूबर में रहेगी, इसलिए उम्मीद की जाना चाहिए कि बांध फिर से पूर्व स्थिति में आ जाएंगे।
– सुधींद्र मोहन शर्मा, जल प्रबंधन विशेषज्ञ