शहर की सडक़ों पर कई बार ये आवारा कुत्ते लड़ते-लड़ते बीच सडक़ पर आ जाते हैं। कई बार इस दौरान यहां से निकलने वाले दोपहिया वाहन चालक इनमें उलझकर गिर कर घालय तक हो चुके हैं। कई बार ये कुत्ते लोगों की बाइक या कार के पीछे भागते हैं। वार्ड तीन के रहवासी जीवन पाल का कहना है कि मोहल्ले में आवारा कुत्तों का इतना आंतक है कि बच्चे तो बच्चे बड़ों को भी रात के समय निकलने में डर बना रहता है। इन सबके बावजूद नपा लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने कोई कदम नहीं उठा रहा।
हर माह लगते हैं 150 इंजेक्शन
सरकारी अस्पताल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार औसतन 5 व्यक्ति रोजाना कुत्तों के काटने के मरीज अस्पताल पहुंचे रहे हैं। वर्ष 2018 में हर माह 150 इंजेक्शन मरीजों को लगाए गए। यह आंकड़ा शहर के सरकारी अस्पताल का है
नपा के पास नहीं इन पर नियंत्रण की कोई योजना: नगर पालिका के पास आवारा कुत्तों को पकडऩे के कोई संसाधन नहीं है। नपा के स्वच्छता विभाग के कर्मचारी ही ज्यादा शिकायतों वाले क्षेत्र में जान जोखिम में डालकर उन्हें पकडकऱ शहर के बाहर जाकर छोड़ देते हैं। कुत्तों की नशबंदी की भी नपा के पास कोई योजना नहीं है।
नपा के पास आवारा कुत्तों को पकडऩे के लिए किसी भी प्रकार के संसाधन नहीं हैं, नपा अपने कर्मचारियों से ही इनकी धरपकड़ करवाती है।
राजेश श्रीवास्तव, नपा सीएमओ