भोपाल

शिक्षकों ने स्कूल यूनिफार्म के करोड़ों रुपए का ये क्या किया, पढ़ें पूरी खबर

– सरकार ने जिलों से वापस मांगा पूरा बजट- विद्यार्थी बिना यूनिफार्म लिए पासआउट होकर चले गए

भोपालSep 26, 2019 / 11:00 pm

anil chaudhary

District Panchayat president will be able to spend 50 lakhs

भोपाल. प्रदेश में नौनिहालों की यूनिफार्म के करोड़ों रुपए बैंक खातों में ही रह गए। यह राशि पिछले तीन-चार सालों से बेकार पड़ी है। सरकार ने नाराजगी जाहिर करके सात दिन के भीतर पूरी राशि वापस मांगी है। यह स्थिति करीब 38 जिलों की है। शिक्षा विभाग ने कलेक्टरों पर भी नाराजगी जताई है। उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। यह राशि 150 करोड़ रुपए से ज्यादा होने का अनुमान है।
प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों को नि:शुल्क यूनिफार्म देती है। इसका बजट हर साल दिया जाता है, लेकिन हर साल कुछ फीसदी यूनिफार्म नहीं बांटी जा पाती। इसकी राशि भी खर्च नहीं की जाती है। इस राशि से अब पूर्व के पात्र विद्यार्थियों को वापस यूनिफार्म नहीं दी जा सकती, क्योंकि वे पासआउट होकर दूसरी कक्षाओं या कॉलेजों में पहुंच गए हैं।
– लैप्स होने से बचाने का खेल
यूनिफार्म की बची हुई राशि को लेकर मुख्यालय स्तर पर भी लापरवाही बरती गई। दरअसल, कई बार 31 मार्च को राशि लैप्स न हो इससे बचने के लिए आखिरी मौकों पर जिलों को राशि जारी की जाती है। मार्च अंत में राशि मिलने के कारण जिले इसका उपयोग नहीं दे पाते हैं। क्योंकि यूनिफार्म सामान्यत: सत्रा शुरू होने पर दी जानी चाहिए। मार्च में परीक्षाओं का समय होता है।
– उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी नहीं
इस राशि का कोई उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी पेश नहीं किया गया है। इसी कारण ग्वालियर एजी ने बार-बार इस राशि को लेकर गड़बड़ी की आशंका जताई है। इस कारण शिक्षा विभाग को इस राशि को लेकर पड़ताल करनी पड़ी।

अब सीधे ठेका नहीं दे सकेंगे विश्वविद्यालय
भोपाल. प्रदेश के विश्वविद्यालय ऑनलाइन वर्किंग के लिए अपने हिसाब से एजेंसियों से नया कांटे्रक्ट नहीं कर पाएंगे। राजभवन ने इस पर रोक लगा दी है। राजभवन चाहता है कि सभी विश्वविद्यालय एक ही सॉफ्टवेयर पर काम करें। इस पर राजभवन का नियत्रंण रहेगा। विश्वविद्यालयों को अधिकार होगा कि वे अपने यहां की जानकारी अपडेट करते रहें। राज्यपाल लालजी टंडन ने पिछले दिनों कुलपतियों बैठक कर उन्हें सामूहिक तौर पर काम करने की हिदायत दी थी। इसी कड़ी में राज्यपाल के सचिव मनोहर दुबे ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों की बैठक कर कह दिया कि विश्वविद्यालय अब ऑनलाइन वर्किंग के लिए नया कांट्रेक्ट न करें। इसके लिए नया प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। ज्यादातर विश्वविद्यालय शैक्षणिक कैलेंडर का पालन करने में पिछड़े हैं। प्रस्तावित व्यवस्था में विश्वविद्यालयों को इसमें पूरी जानकारी दर्ज करना होगी। एेसे में एक नजर में पता चल जाएगा कि किस विश्वविद्यालय की क्या स्थिति है। सब कुछ ऑनलाइन होने से विश्वविद्यालयों पर भी समय पर काम करने का दबाव रहेगा।
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