62 फीसदी डॉक्टर भी मानते हैं कि अब मरीजों का व्यवहार बहुत बदल गया है। यही नहीं 71 फीसदी डॉक्टरों का मानना है कि अब सेहत को लेकर चिंता बढ़ी है, लेकिन मरीजों में खुद से इलाज करने की आदत भी बढ़ी है। डॉक्टर्स डे के मौके पर पत्रिका ने शहर के अलग-अलग विभागों के डॉक्टर्स से जाना कि कोरोना काल में क्या बदलाव हुए हैं।

ये पूछे सवाल और ये मिले जवाब:-
सवाल-1
कोरोना के बाद क्या बदलाव आए हैं। आपको लगता है कि मरीज पहले की तुलना में ज्यादा सौम्य हो गया है?
जवाब:
62 फीसदी: हां, अब मरीज ज्यादा सपोर्टिव हो गए हैं।
24 फीसदी: थोड़ा बहुत बदलाव तो आया है।
14 फीसदी: कोई बदलाव नहीं।
सवाल-2
आपको लगता है कि अब इलाज के तौर तरीके बदल रहे हैं। पहले की तुलना में लोेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेग सहत के प्रति ज्यादा सजग हो गए हैं?
जवाब:
71 फीसदी: सजग हुए हैं, थोड़ी समस्या पर डॉ. से मिलते हैं।
24 फीसदी: खुद से ज्यादा दवाएं लेने लगे हैं।
05 फीसदी: अब भी लापरवाही बरतते हैं।
सवाल-3
कोविड काल में डॉक्टरों का काम सबने देखा। कुछ दुनिया से चले गए। आपको लगता है इसका असर मरीजों से संबंध पर पड़ा?
जवाब:
54 फीसदी: बिल्कुल असर हुआ, अब विवाद कम होते हैं।
36 फीसदी: जिनको विवाद करना है वे तो करते ही हैं।
10 फीसदी: ज्यादा कुछ नहीं बदला।
सवाल-4
प्रदेश में चिकित्सा सुविधाएं बेहतर नहीं हैं। चुनौतियां भी हैं, क्या आप चाहते हैं आपके बच्चे भी सरकारी अस्पताल में डॉक्टर बनें?
जवाब:
47 फीसदी: नहीं, कम से कम सरकारी में तो नहीं ।
38 फीसदी: सभी में चुनौतियां हैं, इस पेशे से बढ़कर कुछ नहीं।
15 फीसदी: यह तो बच्चों पर निर्भर करता है।
सरकारी के साथ निजी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और अन्य विभागों के डॉक्टरों से बातकर सर्वे किया। इसमें गांधी मेडिकल कॉलेज के 20, निजी के 35, एम्स के 8, गैस राहत विभाग के 18 के साथ अन्य डॉक्टरों को शामिल किया गया।
: मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश मालवीय का मानना है, कोरोना के बाद अब डॉक्टर्स पेशेंट रिलेशन बेहतर हुआ है। संक्रमण के दौरान चिकित्सा से जुड़े डॉक्टर और नर्सिंग सहित अन्य स्टाफ ने जिस तरह से काम किया उसे सबने देखा। इसका असर लोगों के व्यवहार पर भी पड़ा।