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महिलाओं के लिए यह कैसा बराबरी का हक

locationभोपालPublished: Oct 15, 2018 09:33:52 am

सूबे के 28 जिलों में कोई महिला विधायक नहीं, बसपा के हैं कुल चार विधायक, इसमें दो क्षेत्र महिलाओं के खाते में

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भोपाल। राजनीतिक दल महिलाओं को बराबरी का हक देने के लिए मंच पर तो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का मामला अभी अटका है।

मध्यप्रदेश में महिला विधायकों की बात करें तो 230 विधायकों वाली इस विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या मात्र 32 है। यह आंकड़ा 13.91 प्रतिशत है। राज्य के 28 जिले तो ऐसे हैं जहां से कोई भी महिला विधायक नहीं है।

महिलाओं को टिकट दिए जाने के लिए राजनीतिक दलों पर दवाब रहता है। इस बार भी दवाब है। महिलाएं 33 फीसदी से अधिक टिकट की मांग कर रही हैं।

 

वर्तमान में सत्तारूढ़ दल भाजपा में महिला विधायकों की संख्या सर्वाधिक 24 है। जबकि कांग्रेस में इनकी संख्या मात्र 6 है। बसपा में महिला विधायक 2 हैं, जबकि इस दल की विधयकों की संख्या चार है। यानी इसके कुल विधायकों की आधी संख्या पार्टी में है।

कैबिनेट में पांच महिला मंत्री …
राज्य में महिला विधायकों की संख्या कम होने के बावजूद भी उनका सरकार में दखल है। पांच महिला विधायक तो शिवराज सरकार में मंत्री हैं। इनमें कुसुम महदेले, अर्चना चिटनीस, यशोधरा राजे सिंधिया, माया सिंह, ललिता यादव शामिल हैं। इसके पहले भी कैबिनेट में महिलाओं का प्रतिनिधित्व रहा है।

21 महिलाएं उच्च शिक्षित …

महिला विधायकों की शिक्षा की बात की जाए तो 21 उच्च शिक्षित हैं। जबकि 11 महिला विधायक 12वीं और इससे कम पढ़ी लिखी हैं। कम शिक्षा के बावजूद भी इनकी सक्रियता में कोई कमी नहीं है। सदन में ये चर्चाओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं।

इन जिलों से दो-दो महिला विधायक….
ग्वालियर, शिवपुरी, टीकमगढ़, छतरपुर, रीवा, जबलपुर, बुरहानपुर, धार, इंदौर

इन जिलों से एक-एक महिला विधायक ….

गुना, सागर, दमोह, पन्ना, सतना, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, बालाघाट, देवास, खण्डवा, खरगौन, झाबुआ, रतलाम

 

गौरतलब है कि महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात को अक्सर नेताओं के मुंह से सुनाई देता है ,लेकिन जब महिलाओं के टिकट की बारी आती है तो शायद बराबरी का दर्जा देने वाले नेता अपनी ही बात को भूलते नजर आते है।

 

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