मैं तो पार्टी का सिपाही हंू, जो आदेश मिलेगा उसका पालन करूंगा।
– अजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष हम चाहते हैं कि नकुलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ें। इस संबध में कमलनाथ से बात करेंगे।
– दीपक सक्सेना, कांग्रेस विधायक
– अजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष हम चाहते हैं कि नकुलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ें। इस संबध में कमलनाथ से बात करेंगे।
– दीपक सक्सेना, कांग्रेस विधायक
दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारेगी भाजपा
प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 26 पर भाजपा का कब्जा है। दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में यह रणनीति बनी है कि अधिकांश सीटों पर दिग्गज नेताओं को ही उतारा जाए। इसमें केंद्रीय मंत्रियों, लंबे समय तक सांसद रहे नेता और शिवराज सरकार में कद्दावर मंत्री रहने वालों को टिकट दिया जा सकता है।
– इन चेहरों पर दारोमदार
नरेंद्र ङ्क्षसह तोमर – केंद्रीय मंत्री तोमर हर चुनाव में अपनी सीट बदलते हैं। इस बार ग्वालियर की जगह मुरैना से चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा ने तोमर के करीबी जयसिंह कुशवाह और शिवमंगल सिंह तोमर को मुरैना सीट का जिम्मा सौंपा है। हालांकि, उनका नाम भोपाल सीट के लिए भी चल रहा है।
थावरचंद गहलोत – 2009 में लोकसभा हारने के बाद राज्यसभा से संसद पहुंचे। इस बार उनको देवास-शाजापुर या उज्जैन सीट से उतारा जा सकता है।
उमा भारती- भले ही उमा ने चुनाव लडऩे से इनकार कर चुकी हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन्हें उत्तरप्रदेश की जगह फिर से मध्यप्रदेश में लाया जा सकता है। उमा की इच्छा भोपाल सीट से चुनाव लडऩे की रही है।
राजेंद्र शुक्ला – पूर्व मंत्री शुक्ला को रीवा लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया जा सकता है। ब्राह्मण वोट बैंक और सीट पर कब्जा बनाए रखने के लिए शुक्ला का नाम सामने आ रहा है।
भूपेंद्र सिंह – पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह को सागर से टिकट देने पर विचार चल रहा है। यहां के वर्तमान सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र सुधीर सुरखी से विधानसभा चुनाव हार गए हैं।
कैलाश विजयवर्गीय – पार्टी महासचिव विजयवर्गीय की जगह उनके पुत्र आकाश को विधानसभा का टिकट दिया गया था। अब कैलाश को इंदौर या मंदसौर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाने पर विचार किया जा रहा है।
शिवराज सिंह चौहान – पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन पार्टी उन्हें विदिशा से मैदान में उतार सकती है। उन्हें मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा से भी उतारने की चर्चा है।
इन नामों पर भी चर्चा- सत्यनारायण जटिया, संपतिया उइके, फग्गन ङ्क्षसह कुलस्ते, प्रभात झा, नरोत्तम मिश्रा, माया ङ्क्षसह, प्रहलाद पटेल, डॉ. वीरेंद्र कुमार और यशोधरा राजे ङ्क्षसधिया।
प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 26 पर भाजपा का कब्जा है। दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में यह रणनीति बनी है कि अधिकांश सीटों पर दिग्गज नेताओं को ही उतारा जाए। इसमें केंद्रीय मंत्रियों, लंबे समय तक सांसद रहे नेता और शिवराज सरकार में कद्दावर मंत्री रहने वालों को टिकट दिया जा सकता है।
– इन चेहरों पर दारोमदार
नरेंद्र ङ्क्षसह तोमर – केंद्रीय मंत्री तोमर हर चुनाव में अपनी सीट बदलते हैं। इस बार ग्वालियर की जगह मुरैना से चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा ने तोमर के करीबी जयसिंह कुशवाह और शिवमंगल सिंह तोमर को मुरैना सीट का जिम्मा सौंपा है। हालांकि, उनका नाम भोपाल सीट के लिए भी चल रहा है।
थावरचंद गहलोत – 2009 में लोकसभा हारने के बाद राज्यसभा से संसद पहुंचे। इस बार उनको देवास-शाजापुर या उज्जैन सीट से उतारा जा सकता है।
उमा भारती- भले ही उमा ने चुनाव लडऩे से इनकार कर चुकी हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन्हें उत्तरप्रदेश की जगह फिर से मध्यप्रदेश में लाया जा सकता है। उमा की इच्छा भोपाल सीट से चुनाव लडऩे की रही है।
राजेंद्र शुक्ला – पूर्व मंत्री शुक्ला को रीवा लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया जा सकता है। ब्राह्मण वोट बैंक और सीट पर कब्जा बनाए रखने के लिए शुक्ला का नाम सामने आ रहा है।
भूपेंद्र सिंह – पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह को सागर से टिकट देने पर विचार चल रहा है। यहां के वर्तमान सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र सुधीर सुरखी से विधानसभा चुनाव हार गए हैं।
कैलाश विजयवर्गीय – पार्टी महासचिव विजयवर्गीय की जगह उनके पुत्र आकाश को विधानसभा का टिकट दिया गया था। अब कैलाश को इंदौर या मंदसौर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाने पर विचार किया जा रहा है।
शिवराज सिंह चौहान – पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन पार्टी उन्हें विदिशा से मैदान में उतार सकती है। उन्हें मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा से भी उतारने की चर्चा है।
इन नामों पर भी चर्चा- सत्यनारायण जटिया, संपतिया उइके, फग्गन ङ्क्षसह कुलस्ते, प्रभात झा, नरोत्तम मिश्रा, माया ङ्क्षसह, प्रहलाद पटेल, डॉ. वीरेंद्र कुमार और यशोधरा राजे ङ्क्षसधिया।
– कट सकते हैं आधे टिकट
पिछले चुनाव में भाजपा ने 27 सीटें जीती थीं, लेकिन दिलीप ङ्क्षसह भूरिया के निधन के बाद उपचुनाव झाबुआ-रतलाम पार्टी हार गई थी। इस बार पार्टी आधे सांसदों के टिकट काट सकती है। इसके पीछे अहम कारण यह है कि 2014 में ये प्रत्याशी मोदी लहर में चुनाव जीत कर सांसद बने थे। लेकिन इस बार परिस्थितियां प्रतिकूल है। ऐसे में 12 सांसदों के टिकट काटने पर विचार किया जा रहा है।
पिछले चुनाव में भाजपा ने 27 सीटें जीती थीं, लेकिन दिलीप ङ्क्षसह भूरिया के निधन के बाद उपचुनाव झाबुआ-रतलाम पार्टी हार गई थी। इस बार पार्टी आधे सांसदों के टिकट काट सकती है। इसके पीछे अहम कारण यह है कि 2014 में ये प्रत्याशी मोदी लहर में चुनाव जीत कर सांसद बने थे। लेकिन इस बार परिस्थितियां प्रतिकूल है। ऐसे में 12 सांसदों के टिकट काटने पर विचार किया जा रहा है।
लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, हम सभी 29 सीटों पर जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। कौन कहां से उम्मीदवार होगा यह केंद्रीय चुनाव समिति तय करेगी।
– राकेश ङ्क्षसह, अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा
– राकेश ङ्क्षसह, अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा