दरअसल, मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित एक अनाथालय में रह रहे रमजान से 22 नवंबर 2015 को सुषमा स्वराज मिलने आईं थीं। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वो पड़ोसी देश से अपील करेंगी कि वह रमजान को उशके मां से मिलने दें। इस पर रमजान ने कहा था कि भारत का माहौल ठीक है, वहीं के लोग मां को यहां मिलने नहीं आने दे रहे हैं।
रमजान पाकिस्तान के कराची का रहने वाला है। सुषमा ने कहा था कि भारत चाहता है कि रमजान अपनी मां के पास वापस चला जाए। पाकिस्तान को यह मानना पड़ेगा कि रमजान पाकिस्तानी नागरिक है। भारत उसके मां को यात्रा से संबंधित दस्तावेज नहीं हैं, भारत फिर भी उन्हें वीजा देगा।
सुषमा स्वराज के इस पहल पर पाकिस्तानी डिप्लोमेट 27 नवंबर 2015 को रमजान से मिलने भोपाल पहुंचे थे। उसके बाद कई पाकिस्तानी एनजीओ पर रमजान को वापस उसकी मां से मिलाने की कवायद शुरू की थी। लेकिन कुछ अड़चनों की वजह से वह नहीं जा पाया। रमजान के पिता बांग्लादेश में रहते हैं। फिर उसके पिता के पास भेजने की कवायद शुरू हुई।
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पाकिस्तानी लड़के रमजान ने यह कहकर मना कर दिया कि मुझे अब्बू के पास नहीं जाना है। यदि अम्मी के पास कराची नहीं भेज सकते तो बांग्लादेश क्यों भेज रहे हैं। अब भोपाल ही मेरा घर है। मैं यहीं रहूंगा, अपने दोस्तों के बीच।
पाकिस्तानी लड़के रमजान ने यह कहकर मना कर दिया कि मुझे अब्बू के पास नहीं जाना है। यदि अम्मी के पास कराची नहीं भेज सकते तो बांग्लादेश क्यों भेज रहे हैं। अब भोपाल ही मेरा घर है। मैं यहीं रहूंगा, अपने दोस्तों के बीच।
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माता-पिता में तलाक के बाद बच्चे के पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। सौतली मां से परेशान होकर वह करीब छह साल पहले बॉर्डर के रास्ते भारत आ गया था। । यहां कई महीनों तक भटकता रहा। बालक को जैसे ही यह पता चला कि उसे बांग्लादेश भेजा जा रहा है। वह निराश हो गया। वह अपनी मां के पास जाना चाहता था, हालांकि समिति के निर्णय के बाद वह जाने को तैयार हो गया। उसे उम्मीद है कि वहां उसकी मां उससे मिलने आ सकेगी। एक दिन वह कराची अपने मुल्क में अपने लोगों के बीच जा सकेगा। रमजान अक्टूबर 2013 में बांग्लादेश से दिल्ली और फिर से ट्रेन के जरिए भोपाल पहुंचा था। उसकी सौतली मां ने चोरी का आरोप लगाया था, जिसके बाद वह घर छोड़कर भाग निकला था।
माता-पिता में तलाक के बाद बच्चे के पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। सौतली मां से परेशान होकर वह करीब छह साल पहले बॉर्डर के रास्ते भारत आ गया था। । यहां कई महीनों तक भटकता रहा। बालक को जैसे ही यह पता चला कि उसे बांग्लादेश भेजा जा रहा है। वह निराश हो गया। वह अपनी मां के पास जाना चाहता था, हालांकि समिति के निर्णय के बाद वह जाने को तैयार हो गया। उसे उम्मीद है कि वहां उसकी मां उससे मिलने आ सकेगी। एक दिन वह कराची अपने मुल्क में अपने लोगों के बीच जा सकेगा। रमजान अक्टूबर 2013 में बांग्लादेश से दिल्ली और फिर से ट्रेन के जरिए भोपाल पहुंचा था। उसकी सौतली मां ने चोरी का आरोप लगाया था, जिसके बाद वह घर छोड़कर भाग निकला था।