उच्च शिक्षा विभाग ने इन सेंटरों के संचालन का ईकोनॉमिक मॉडल बनाया है, ताकि सरकार पर सीधा भार न पड़े। समीपवर्ती कॉलेज के जनभागीदारी फंड का उपयोग स्ववित्त पाठ्यक्रम, फैकल्टी के वेतन, भवन, संसाधन समेत अन्य सुविधाओं के लिए होगा।
इस प्रयास में सफल होते ही मप्र देश का पहला राज्य होगा, जहां हर विकासखंड में सरकारी कॉलेज या सेंटर की व्यवस्था होगी। उधर, उच्च शिक्षा विभाग स्नातक कॉलेज का एक्सटेंशन सेंटर शुरू करने से पहले शोध में जुटा है।
समीपवर्ती कॉलेज के प्राचार्य के पास इन एक्सटेंशन सेंटर का प्रशासकीय और वित्तीय दायित्व होगा। संसाधन जुटाने और फैकल्टी के वेतन समेत सभी खर्चे संबंधित कॉलेज के जनभागीदारी फंड से होंगे। जो भी कोर्स शुरू होंगे, सभी सेल्फ फाइनेंस से होंगे। नियमित प्राध्यापक, लाइब्रेरियन और खेल अधिकारी की उपलब्धता नहीं होने पर गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति होगी। इंडस्ट्री के अनुभवी लोग बतौर एक्सपर्ट कुछ कक्षा को पढ़ाएंगे।
राज्य में 533 यूजी-पीजी कॉलेजों में आधे में फैकल्टी के पद खाली हैं। सेंटर के लिए गेस्ट फैकल्टी ही विकल्प होगा। एनईपी के अनुसार हर जिले में एक से अधिक बहुसंकायी कॉलेज बनाने हैं। इसके लिए नियमित फैकल्टी, लैब, संसाधन पूरे नहीं हो पा रहे। एक्सटेंशन सेंटर दूरस्थ शिक्षा प्रणाली का हिस्सा नहीं होंगे। इनके लिए भवन, संसाधन जुटाना आसान नहीं होगा।