सीट चाहे 32 हो या 52 सभी का किराया 40रु. प्रति किलोमीटर
कार्यक्रम के लिए अधिग्रहण की गई बसों के भुगतान का मामला

भोपाल. बस चाहे ३२ सीटर हो या ५२ सभी का किराया ४० रुपए प्रति किमी ही होगा। सरकारी कार्यक्रमों के लिए अधिग्रहित की जाने वाली बसों के किराए में घालमेल का यह मामला दस्तावेजों के माध्यम से सामने आया है। कार्यक्रम के लिए अधिग्रहण तो अलग-अलग ऑपरेटर्स की बसों का किया जाता है, पर भुगतान बस मालिक के खाते के बजाय एजेंसी संचालक बताए जाने वाले मध्यस्थों के खातों में होता है।
खास बात यह है कि परिवहन विभाग की ओर से जिन व्यक्तियों के खाते में सीधे लाखों का भुगतान किया गया, उनका जीएसटी में रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। केवल कागजी फर्म के नाम पर लाखों का भुगतान वास्तविक ऑपरेटर्स के बजाय बाहरी व्यक्तियों को करने से लाखों की टैक्स चोरी भी हो रही है।
इस तरह की गड़बडि़यां प्रदेशभर में चल रही है, जिसकी शिकायत परिवहन के आला अधिकारियों को की गई है। ११ अक्टूबर २०१७ को नसरूल्लागंज में आयोजित कृषक सम्मेलन के लिए भोपाल व सीहोर में रजिस्टर्ड एक दर्जन बसों का अधिग्रहण किया गया। ये बसें ३२ से ५२ सीटर तक अलग-अलग क्षमता की थीं, लेकिन सभी का भुगतान ४० रुपए प्रति किलोमीटर की एक ही दर पर किया गया।
बिचौलियों के माध्यम से क्यों होता पेमेंट
अलग-अलग ऑपरेटर्स के नाम पर रजिस्टर्ड बसों का भुगतान किसी भी सीधे ऑपरेटर्स को करने के बजाय मध्यस्थों से कराया गया। ऑपरेटर्स का कहना है कि भुगतान नकद दिया। उपलब्ध दस्तावेज से जिस राशि के भुगतान की पुष्टि होती है, उससे कम भुगतान किया गया।
मतदान के लिए बस अधिग्रहण के दौरान जिन ऑपरेटर्स की बसें अधिग्रहित की जाती हैं, उनका भुगतान उन्हीं के खाते में किया जाता है। पर मामले में मध्यस्थों ने जो बिल लगाए हैं, उनमें न तो जीएसटी न ही पैन नम्बर है। बिना इसके भुगतान किए जाने से लाखों की टैक्स चोरी की आशंका भी पैदा हो रही है, फिर भी परिवहन के अधिकारियों ने भुगतान कर दिया।
इन बसों का हुआ अधिग्रहण
एमपी37 पी 1015
एमपी 37पी 0181
एमपी 37 पी 0158
एमपी 04 पीए 0599
एमपी04 पीए 1700
एमपी 04 जी 9452
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